ग्लोबल बैंक और फाइनेंस कंपनियां देश में महिला कर्मियों को आकर्षित करने और कार्यरत महिलाओं को बनाए रखने के लिए मैटरनिटी बेनेफिट्स यानी मातृत्व लाभ सुविधाओं का विस्तार कर रही हैं. इनमें ऐसे-ऐसे अलाउंस (भत्ते) शामिल हैं, जो अन्य जगह शायद ही देखने को मिले.
HSBC अपने बैंकर्स के लिए 6 साल तक नैनी (बच्चों का ख्याल रखने वाली) के खर्च का भुगतान करता है. मॉर्गन स्टेनली, प्रेगनेंट कर्मियों का कैब खर्च वहन करता है. वहीं सिटी ग्रुप (Citi) मां बनी महिलाओं को उनका मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद भी एक साल तक वर्क फ्रॉम होम (WFH) की अनुमति देता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर, भारत में एक चौथाई से भी कम महिलाएं (18+) काम करती हैं, जो दुनिया में सबसे कम दरों में से एक है.
सिटी (इंडिया और साउथ एशिया) के चीफ HR ऑफिसर, आदित्य मित्तल का कहना है कि महिलाओं की भागीदारी के बिना हम कभी भी विकसित देश नहीं बन पाएंगे. सिटी बैंक ने पिछले हफ्ते ही ये घोषणा की थी कि पहली बार मां बनने जा रही महिलाओं (New Moms) को अब उनकी पेड लीव खत्म होने के बाद एक साल तक घर से काम करने का विकल्प मिलेगा.
वर्ल्ड बैंक के जेंडर डेटा पोर्टल के अनुसार, देश में पहले से ही पूर्ण वेतन पर न्यूनतम 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश अनिवार्य है. वहीं 50 से अधिक कर्मियों वाले नियोक्ताओं (Companies) को क्रेच या डे-केयर, की सुविधा देनी जरूरी हैै.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2021 में महिलाओं के लिए एक जॉब ट्रेनिंग प्रोग्राम भी लॉन्च किया और बताया कि फ्लेक्सिबल आवर्स को अपनाना, महिलाओं को घर से बाहर काम करने के लिए प्रोत्साहित करने का एक तरीका हो सकता है.
अमेरिका के साथ स्थिति बिल्कुल उलट है, जहां पेड लीव के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. वहां JP मॉर्गन चेज एंड कंपनी और बैंक ऑफ अमेरिका, दोनों सभी नए माता-पिता के लिए 16 हफ्ते की छुट्टी ऑफर करते हैं. वहीं, गोल्डमैन सैक्स ग्रुप (Goldman Sachs Group Inc) माता-पिता को 20 सप्ताह की छुट्टी देता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बैंक 'प्रतिभा के भूखे' हैं. अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के साथ, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ते मध्यम वर्ग के कारण कई ग्लोबल लेंडर्स का टारगेट भारत पर है. डीलमेकिंग में तेजी आई है. HSBC अपनी री-स्टैबलिश्ड प्राइवेट बैंकिंग यूनिट के लिए 'वेल्थ बैंकर्स' की भर्ती कर रहा है, वहीं सिटीग्रुप ने विस्तार के लिए भारत को अपने शीर्ष बाजारों में से एक के रूप में पहचाना है.
रिक्रूटमेंट ड्राइव में प्रतिभाशाली महिलाओं को शामिल करने और पहले से ही बैंकों में काम कर रही महिलाओं को बनाए रखने का मतलब है, सबसे अधिक आबादी वाले देश में महिला कर्मियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को एड्रेस करना.
आवश्यक ऑन-साइट डेकेयर के अलावा, HSBC होल्डिंग्स, महिला कर्मियों को 6 साल तक के बच्चों की देखभाल के लिए एक नैनी के भुगतान के लिए 216 डॉलर तक का मासिक चाइल्ड केयर भत्ता देता है.
HSBC इंडिया में HR हेड अर्चना चड्ढा ने कहा, 'बैंक ने पाया कि उसके कई कर्मचारी अपने बच्चों को घर पर रखना चाहते हैं, और एक नैनी पर भरोसा करते हैं.'
भारत में करीब 39,000 कर्मचारियों वाला HSBC, अपने स्टाफ में नई माताओं को फ्लेक्सिबल आवर्स और प्रसव के बाद कैरियर डेवलपमेंट भी प्रोवाइड करता है.
मुंबई में एक इंटरव्यू में अर्चना चड्ढा ने कहा, 'इसका उद्देश्य महिलाओं को काम पर वापस आने में मदद करना और उनके जीवन को आसान बनाना है.'
मुंबई और बैंगलोर में मॉर्गन स्टेनली की महिला स्टाफ, गर्भावस्था के दौरान (अंतिम तिमाही में) ट्रेन और बसों की भीड़ से बचने के लिए कैब का इस्तेमाल कर सकती हैं, जिसका खर्च कंपनी उठाएगी.
HR हेड रजत माथुर ने कहा, 'हमने पाया कि बहुत सारी महिलाएं उस चरण में सिर्फ इसलिए जॉब छोड़ देती थीं क्योंकि उन महीनों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करना बहुत मुश्किल होता था.'
मॉर्गन स्टेनली मातृत्व अवकाश से वापस आने वाली महिलाओं के लिए काम पर धीरे-धीरे वापसी की सुविधा के साथ गर्भवती और नए माता-पिता के लिए कोचिंग और सलाह भी प्रोवाइड करता है. माथुर ने कहा, मॉर्गन स्टेनली पिता बने पुरुष कर्मियों को 16 सप्ताह तक की छुट्टी भी देता है.
सिटीग्रुप ने अपने पितृत्व अवकाश लाभों को अगले वर्ष तक 'मातृत्व अवकाश के बराबर' तक बढ़ाने की योजना बनाई है.
भारतीय कानून, वर्तमान में सरकारी कर्मियों को पिता बनने पर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश देता है, जबकि प्राइवेट सेक्टर के लिए कोई अनिवार्य न्यूनतम सीमा नहीं है.