अममून शराब की दुकानों में किसी महिला को काम करते देख आपके मन में कई सवाल उठ सकते हैं. सबसे पहली बात तो शराब की दुकानों में काम करना महिलाओं के लिए सामाजिक वर्जना (Social Taboos) के तौर पर देखा जाता है. आपके भी मन में उनके प्रति ग्राहकों के व्यवहार से लेकर उनकी सुरक्षा तक के सवाल उठ सकते हैं.
आपने आसपास की शराब दुकानों पर महिलाओं को काम करते भी शायद ही देखा होगा, लेकिन आप दक्षिण भारतीय राज्य केरल जाएंगे तो चौंक जाएंगे.
केरल देश का संभवत: पहला राज्य है जहां पर शराब की दुकानों में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी काम कर रही हैं. यहां इसे अन्य सरकारी नौकरी की तरह एक नौकरी के रूप में देखा जाता है.
सरकारी शराब मार्केटिंग कंपनी, केरला स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (BEVCO) के कर्मियों में अब 50% से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं. BEVCO में महिलाओं का प्रतिनिधित्व, केरल की सोसाइटी को दर्शाता है, जहां कुल आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है.
केरला स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (KSBC) में काम करने के लिए महिलाएं बकायदा कंपीटिटिव एग्जाम देती हैं. अभ्यर्थियों की भीड़ में बाकियों को पीछे छोड़ कर जो आगे निकल आती हैं, उन्हें ही KSBC में जॉब मिलती है.
KSBC की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, राज्य भर में इसके 6 रीजनल ऑफिस, 26 वेयरहाउसेस और 272 दुकानें है, जबकि 119 सेल्फ सर्विस आउटलेट्स भी हैं. शराब की दुकानों के अलावा, महिलाओं की ड्यूटी गोदामों और प्रशासनिक कार्यालयों में भी लगाई जाती है.
कई महिला कर्मियों के परिवारों को शुरुआत में उनके शराब की दुकान में काम करने को लेकर कई तरह की आशंकाएं थीं, लेकिन ये महिलाएं ही थीं, जिन्होंने BEVCO में काम करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
करीब 10 साल पहले महिलाओं ने BEVCO में नौकरी के अधिकार के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इससे पहले शराब दुकानों में काम करने के लिए महिलाओं की भर्तियां नहीं होती थीं.
आज स्थितियां काफी हद तक बदल चुकी हैं. BEVCO में नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षा देने के लिए अधिक से अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं.
केरला स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (BEVCO) की कमान महिला के ही हाथ में है. BEVCO की चेयरमैन और MD भी एक महिला हैं और एक AGM (Operation) भी महिला है. यानी कॉरपोरेशन में संपूर्ण संचालन की देखरेख महिला हाथों में है. KSBC की मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) हर्षिता अत्तालुरी एक IPS हैं.
10 साल पहले महिलाएं कोर्ट गईं, केस लड़ा और BEVCO में काम करने का अपना अधिकार प्राप्त किया. इससे पहले महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती थी और अदालत ने सरकार को महिलाओं की भर्ती करने का निर्देश दिया था. अब हमारे वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है.हर्षिता अत्तालुरी, चेयरमैन और MD, KSBC
तिरुवनंतपुरम में BEVCO की एक दुकान पर लीना पिछले 2 साल से काम कर रही हैं. उन्होंने PTI को बताया कि शुरुआत में मैं बहुत घबराई हुई थी. हम इसे बहुत ही मुश्किल मानते थे लेकिन करीब 6 महीने काम करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा. अब हमें शायद ही किसी तरह की परेशानी होती है.
हर प्रोफेशन की अपनी कुछ न कुछ चुनौतियां होती हैं और महिलाओं के लिए पुरुष वर्चस्व वाले इस फील्ड में भी कुछ दिक्कतें हैं. BEVCO के कर्मियों को सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक काम करना होता है और सरकार की ओर से घोषित 'ड्राई डे' के दिन ही छुट्टी मिलती है.
शराब की दुकान में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी संगीता ने कहा, 'हमारी एक ही समस्या यह है कि काम के घंटे अधिक है लेकिन प्रत्येक पेशे की अपनी चुनौती होती है. हमने पाया कि अधिकतर ग्राहकों का व्यवहार मित्रवत और सहयोगात्ममक रहता है.'
वो कहती हैं कि कर्मियों के साथ गलत व्यवहार करने पर कानूनी कार्रवाई के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. वो ये भी मांग करती हैं कि पब्लिक ऑफिसेस की तरह इस बारे में शराब आउटलेट में भी प्रदर्शित करने किया जाना चाहिए.
आगे वो कहती हैं कि उन्हें लोगों के साथ बातचीत करना पसंद है और हर दिन वो बहुत से लोगों से मिलती हैं. उन्हें कोई समस्या नहीं होती.
शराब की एक दुकान पर कैशियर के तौर पर काम कर रहीं विनीता के लिए ये किसी भी दूसरी सामान्य नौकरी की तरह ही है. उन्होंने कहा, 'शराब की दुकानों और यहां आने वाले ग्राहकों के बारे में हमारी जो धारणाएं थीं, वे सब गलत थीं. हम यहां खुशी से काम कर रहे हैं, हालांकि लंबे समय तक काम करना एक समस्या है.'
शराब की दुकानों पर ग्राहकों की बदतमीजी की आशंका तो बनी ही रहती है. ऐसे में पुलिस तत्पर रहती है. IPS अधिकारी अत्तालुरी ने बताया, 'अगर ग्राहक के दुर्व्यवहार की कोई शिकायत सामने आती है तो हम तत्काल प्रतिक्रिया करते हैं और पुलिस कार्रवाई करती है.'
हालांकि एक महिला कर्मी का कहना है कि ज्यादातर ग्राहकों का व्यवहार मित्रवत रहता है. वे सहयोग और सपोर्ट करते हैं. काम के प्रति मेहनत, लगन को देखते हुए इन दुकानों के मैनेजर भी महिला कर्मचारियों से खुश रहते हैं.
तिरुवनंतपुरम के पट्टम में एक शराब की दुकान के प्रबंधक अशोक के मुताबिक, सेलिंग काउंटर पर महिलाओं के होने से ग्राहकों के व्यवहार में काफी सुधार हुआ है. जब वे काउंटर पर महिलाओं को देखते हैं, तो वे अधिक विनम्र पेश आते हैं और अच्छा व्यवहार करते हैं.
हर्षिता अत्तालुरी ने बताया, 'शुरुआत में BEVCO की दुकानों को महिलाओं के काम करने के लिहाज से मुश्किल माना जाता था, लेकिन समय बीतने के साथ महिलाओं ने पाया कि उन दुकानों में काम करना सुरक्षित है.'
हर्षिता अत्तालुरी का मानना है कि अन्य विभागों को BEVCO के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए और कार्यबल में अधिक महिलाओं को शामिल करना चाहिए.
अत्तालुरी ने कहा, 'केरल पुलिस में, अब हमारे पास 10% से भी कम महिला प्रतिनिधित्व है. अगर हम इसे कम से कम 30% तक ले आते हैं, तो पुलिसिंग की शैली में काफी उल्लेखनीय सुधार होगा.'
संगीता कहती हैं, 'मेरे पति मेरा सबसे बड़ा सहारा हैं और मुझे काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.' इन कर्मियों की फैमिली, जिन्हें पहले चिंता लगी रहती थी, वे अब इन महिलाओं के सबसे बड़े सपोर्टर हैं. वे उनकी ताकत बन गए हैं.