जीरोधा के CEO नितिन कामथ ने इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) वाले वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलाव करने पर पर्यावरण के लिए चिंता जताई है. एक्स पर एक पोस्ट में, कामथ ने कहा कि EV का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है, ये अनजाने में दुनिया के अन्य हिस्सों में ऐसी समस्या पैदा कर सकता है जिसे बदला नहीं जा सकता.
कामथ ने अपनी पोस्ट की शुरुआत एक स्पष्ट टिप्पणी के साथ की, 'मुझे यकीन नहीं है कि ज्यादातर लोग वास्तव में ICE वाहनों से इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलाव की लागत को समझते हैं.'
उन्होंने सवाल किया कि क्या दुनिया वास्तव में पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम कर रही है, या फिर इसे नजरअंदाज कर रही है.
कामथ आगे लिखते हैं कि, 'इंडोनेशिया पैराडाइज आइलैंड्स को स्ट्रिप-माइन करता है. कांगो (कोबाल्ट का ~70%) बाल श्रम वाले समुदायों को खत्म कर रहा है.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे EV बैटरियों के लिए जरूरी खनिजों - जैसे निकेल और कोबाल्ट - का खनन पर्यावरण को विनाश की ओर ले जा रहा है.
उन्होंने रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर चीन के कंट्रोल के बारे में भी लिखा. नितिन कामथ के अनुसार 'चीन उन खनिजों को कंट्रोल कर रहा है जो EV के लिए जरूरी हैं, जिसमें शामिल हैं 90% रेयर अर्थ एलिमेंट्स, 75% लिथियम, 80% टंगस्टन.
कामथ ने कहा, 'हर कदम पर पर्यावरणीय लागत आती है. क्या हम वाकई इन सब पर विचार कर रहे हैं?'
उन्होंने अपने पोस्ट के आखिर में लिखा कि, "हम (मानव) हमेशा से बेहतर टेक्नोलॉजी के पीछे भागते हैं, भले ही वो ग्रह के लिए ठीक ना हो? साफ सड़कें चाहते हैं भले ही महासागर गंदे रहें.