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तेजी से पांव पसार रहा मंकीपॉक्स, WHO ने घोषित की हेल्थ इमरजेंसी, जानिए सरकार की क्या है तैयारी

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, 2022 से अब तक 116 देशों में इस वायरस के 99,176 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है और 500 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी06:49 PM IST, 19 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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एमपॉक्स या मंकीपॉक्स पर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है. WHO ने पहली बार जुलाई 2022 में एमपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था और मई 2023 में इसे रद्द भी कर दिया था. लेकिन एक बार फिर दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के चलते हडकंप मच गया है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की शुरुआत से अब तक इस वायरस के 17, 000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं जिनमें से 500 से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है.

मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण 2-4 हफ्तों का होता है, इसमें शरीर पर कई जगह बड़े-बड़े छाले पड़ जाते हैं, आसान भाषा में कहें तो ये चेचक से मिलती-जुलती एक बीमारी है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती हैं.

भारत के लिए कितना खतरा

आफ्रिका से निकला ये वायरस अब पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी दस्तक दे चुका है. पेशावर में एक 34 वर्षीय पुरुष में एमपॉक्स की पुष्टी हुई है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 2022 में WHO द्वारा इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के बाद भारत में इसके कुल 30 मामले सामने आए, जिनमें से आखिरी केस इस साल मार्च में आया. फिलहाल देश में मंकीपॉक्स का कोई भी केस नहीं हैं.

क्या है सरकार की तैयारी

मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने भी अपनी हलचल तेज कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की और कहा कि, रोग के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए सावधानी बरतने के उपाय किए जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में ये निर्णय लिया गया कि, सावधानी बरतने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, सभी एयरपोर्ट और बंदरगाहों से आने वाले यात्रियों की टेस्टिंग की जाएगी. इसके लिए कुल 32 टेस्ट लैब्स को तैयार किया जाएगा. जिन मरीजों में एमपॉक्स की पुष्टी होगी उन्हें आइसोलेट कर दिया जाएगा.

कैसे फैलता है एमपॉक्स

मंकीपॉक्स जैसा कि नाम से पता चलता है यह बंदरों में पाया जाने वाला संक्रमण है पर WHO की माने तो यह वायरस गिलहरी और चुहों में भी पाया जाता है. सामान्य तौर पर इंसानी शरीर में इस वायरस का असर 2-4 हफ्तों तक रहता है, इस दौरान ग्रसित मरीज को सिरदर्द, बुखार, जननांगों में सूजन, और शरीर पर छाले पड़ने जैसी शिकायतें हो सकती हैं. आमतौर पर घरेलू नुस्खों और प्राथमिक उपचार से इससे निजात पाया जा सकता है. ये वायरस कोरोना की तरह ही छूआछूत से एक से दूसरे में प्रवेश कर सकता हैं. संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क, शारीरिक संबंध से भी ये रोग एक इंसान से दूसरे में फैलता है. इसके अलावा ये सांस और लार के माध्यम से भी प्रसारित होता है.

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