Un-Healthy India: देश की आधी आबादी यानी 50% लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट डिजीज जैसी क्रॉनिक बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये बीमारियां किसी महामारी की तरह हमला करने वाली है, बल्कि लोग खुद ही इन बीमारियों को बुलावा दे रहे हैं.
वजह सुन कर बुरा लग सकता है, लेकिन सच्चाई यही है कि देश का हर दूसरा व्यक्ति आलसी है. 'द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ' में प्रकाशित रिसर्च स्टडी के मुताबिक, 18 वर्ष की उम्र से ज्यादा देश के 50% लोग शारीरिक तौर पर फिट नहीं हैं. वे पर्याप्त वर्कआउट नहीं करते.
WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, स्वस्थ रहने के लिए सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है, लेकिन आधे से ज्यादा लोग रोजाना के हिसाब से मिनिमम (21-22 मिनट भी) फिजिकल वर्कआउट नहीं करते.
इस स्टडी में भारत के संबंध में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे निराशाजनक है. रिपोर्ट के अनुसार,
साल 2022 में देश के 49.4% व्यस्क आलसी हैं, यानी वे शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं हैं.
साल 2000 में ये आंकड़ा कुल वयस्क भारतीयों का सिर्फ 22.3% था, जो अब दोगुना से भी ज्यादा हो गया है.
साल 2022 में देश की 57% महिलाएं फिजिकली एक्टिव यानी शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं पाई गईं.
वहीं पुरुषों में ये आंकड़ा 42% है. यानी 100 में से 42 पुरुष भी फिजिकली एक्टिव नहीं हैं.
आलसीपन का यही रवैया जारी रहा तो साल 2030 तक 60% भारतीय अनफिट हो जाएंगे.
अनफिट होने का सीधा-सा मतलब क्रॉनिक बीमारियों का शिकार होने से है. WHO के मुताबिक, फिजिकली एक्टिव नहीं रहने यानी पर्याप्त वर्कआउट नहीं करने से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारी वगैरह का खतरा बढ़ जाता है.
पिछले साल की गई इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और INDIAB (INdia DIABetes) की स्टडी के मुताबिक 2021 में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे, जबकि 31.5 करोड़ लोग हाई ब्लडप्रेशर से पीड़ित थे.
इसी स्टडी में बताया गया था कि 25.4 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे, जबकि 18.5 करोड़ लोगों हाई कोलेस्ट्रोल से जूझ रहे थे. ये स्टडी 'द लैंसेट डायबिटीज एंड इंडोक्राइनोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 197 देशों में 57 लाख लोगों की फिजिकल एक्टिविटी का अध्ययन किया है. WHO के एक्सपर्ट्स समेत इंटरनेशनल रिसर्चर्स की टीम ने इसमें साल 2000 से लेकर 2022 तक की 507 पॉपुलेशन बेस्ड स्टडी का एनालिसिस किया गया है. भारत के लिए डेटा मद्रास की एक डायबिटीज रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एवलेबल कराया.
इस स्टडी के मुताबिक, फिजिकली एक्टिव नहीं रहने के मामले में हाई इनकम वाले एशिया-पैसिफिक रीजन की स्थिति सबसे बुरी है. वहीं दक्षिण एशिया रीजन का स्थान इस मामले में दूसरे नंबर पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 31.3% यानी करीब एक तिहाई लोग अनफिट हैं यानी फिजिकली एक्टिव नहीं हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, 2010 में फिजिकली एक्टिव नहीं रहने वाले वयस्कों की संख्या ग्लोबली 26.4% थी, जिसमें 2022 में 5% की बढ़ोतरी हुई है.
रिसर्च टीम ने ये भी पाया कि वैश्विक स्तर पर 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष और महिलाएं दोनों में फिजिकली एक्टिव नहीं रहने की दर बढ़ रही है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर वर्कआउट की सलाह देते हैं. बीमारियों को दूर रखने के लिए फिट रहना जरूरी है और इसके लिए वर्कआउट करना होगा. एम्स और अन्य बड़े अस्पतालों में कार्यरत रहे सीनियर फिजिशियन डॉ PB मिश्रा ने कहा, 'वर्कआउट का मतलब केवल जिम में पसीना बहाने से नहीं है. आप जॉगिंग कर सकते हैं. रोज मॉर्निंग वॉक पर निकलना बहुत मुश्किल नहीं है. साइक्लिंग, स्विमिंग, रनिंग जैसी एक्सरसाइज की जा सकती है.'
डाॅ मिश्रा ने कहा, 'भारत से निकले योग को पूरी दुनिया अपना चुकी है. हमें एक्सपर्ट की निगरानी में योग सीख लेना चाहिए और फिर इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'शरीर को फिजिकली एक्टिव नहीं रखने से हम कई बीमारियों से घिर सकते हैं. बहुत से लोगों का काम फिजिकली होता है तो उनका वर्कआउट हो जाता है, लेकिन डेस्क जॉब या कम एक्टिविटी वाले जॉब वालों के लिए दिक्कत है. ऐसे में उन्हें हर दिन फिजिकल एक्टिविटी के लिए समय निकालना चाहिए.'