भागदौड़ भरी जिंदगी. थकना मना है. घर-ऑफिस, ऑफिस-घर. काम ही काम. सेहत का भी तो खयाल रखना है! है कि नहीं? और इसके लिए बेहतर खान-पान के साथ एक्सरसाइज भी तो जरूरी है?
हां, बिल्कुल जरूरी है. लेकिन फिट दिखने के चक्कर में बहुत प्रेशर क्यों लेना? पड़ोसी की देखादेखी क्यों करनी? फेसबुक, इंस्टाग्राम पर कोई फिटनेस पर ज्यादा ज्ञान बांट रहा तो उसकी हर बात क्यों माननी? ऑफिस में कोई बंदा ज्यादा फिट दिख रहा तो टेंशन काहे को?
पूरी बात का लब्बोलुआब इस एक सवाल में है कि कहीं आप भी सेहत बनाने के चक्कर में सेहत बिगाड़ तो नहीं रहे न?
लुलुलेमन (Lululemon) की ग्लोबल वेलबीइंग रिपोर्ट कहती है कि 10 में से 9 लोग अच्छी सेहत बनाने के प्रेशर में बीमार हो रहे हैं. वे पहले से ज्यादा एक्सरसाइज करने लगे हैं और खुद को फिट बनाए रखने का दबाव भी महसूस कर रहे हैं. ऐसे में 'वेलबीइंग बर्नआउट' (WellBeing Burnout) की परेशानी बढ़ी है.
वेलबीइंग से मतलब केवल फिट दिखने से नहीं है. इसका मतलब शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ होना है.
शारीरिक- खुद को सशक्त महसूस करना. अपने शरीर को अच्छे स्वास्थ्य और क्वालिटी लाइफ के लिए जरूरी चीजें देने में सक्षम होना.
मानसिक- भावनात्मक रूप से तैयार महसूस करना और भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने में सक्षम होना.
सामाजिक- दूसरों से जुड़ाव महसूस करना. खुद से बड़ी किसी चीज का हिस्सा बनना. एक सपोर्टिव कम्यूनिटी में भागीदारी.
लुलुलेमन की ग्लोबल वेलबीइंग रिपोर्ट (Global Wellbeing Report 2024) के मुताबिक, सेहत को लेकर जागरूकता पहले के मुकाबले बढ़ी है, लेकिन लोग अच्छी सेहत के प्रेशर में खुद को कमजोर कर रहे हैं. अप्रैल-मई में करीब 16,000 लोगों पर हुए सर्वे में पता चला है कि लोगों पर सेहत सुधारने का बेवजह दबाव है. रिपोर्ट के मुताबिक,
89% लोग दबाव में आकर एक साल पहले की तुलना में ज्यादा एक्सरसाइज करने लगे हैं.
61% लोगों ने माना कि बेहतर दिखने को लेकर समाज को उनसे बहुत ज्यादा अपेक्षाएं हैं.
53% लोगों को सेहत से जुड़े एक ही विषय पर विरोधाभासी जानकारी के चलते दिक्कतें झेलनी पड़ी.
10 में से 9 लोगों का कहना है कि 'वेलबीइंग बर्नआउट' के पीछे अकेलापन एक बड़ा कारण है. 'वेलबीइंग बर्नआउट' की स्थिति में लंबे समय तक प्रेशर और टेंशन के चलते लोग शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से थक जाते हैं. वे खुद को अकेला और हतोत्साहित महसूस करते हैं.
12 से 27 वर्ष के 76% युवा (Gen Z) और 28 से 43 वर्ष की उम्र वाले 71% लोग (मिलेनियल्स) दूसरे एज ग्रुप की तुलना में अपनी वेलबीइंग को लेकर ज्यादा दबाव महसूस करते हैं. Gen X के बीच प्रेशर का आंकड़ा 60% और बूमर्स के लिए ये आंकड़ा 41% है.
इस रिपोर्ट में मुख्य रूप से तीन स्ट्रैटेजी बताई गई है. इनमें माइंडफुलनेस, ध्यान-योग, सक्रियता, प्रकृति के बीच रहने और सोशल होने यानी लोगों से मेलजोल बढ़ाने जैसे उपाय बताए गए हैं.
हमें माइंडफुलनेस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
सोशल मीडिया से ब्रेक लें और सीमाएं तय करें.
जो लोग रोजाना ध्यान का अभ्यास करते हैं, उनका स्वास्थ्य, सामान्य लोगों की तुलना में 12% ज्यादा बेहतर पाया गया.
आप अपनी गति से काम का अभ्यास कर सकते हैं.
शरीर को सक्रिय रखें. नेचर यानी प्रकृति के बीच समय बिताएं.
ऐसा करने वाले लोग, बाकी लोगों की तुलना में 16% ज्यादा बेहतर स्वस्थ रहते हैं.
आप ग्रुप में एक्सरसाइज कर सकते हैं.
किसी टीम स्पोर्ट या ग्रुप फिटनेस क्लास को ज्वाइन कर सकते हैं.
अपने रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ अपनी जरूरतें साझा करें.
एक्सरसाइज एक्टिविटी का इस्तेमाल दूसरों के साथ मेलजोल बढ़ाने में करने वाले लोग 23% ज्यादा स्वस्थ रहते हैं.
ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और लुलुलेमोन मेंटल वेलबीइंग ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य डॉ मुरली दोराईस्वामी ने कहा, 'अक्सर अपनी सेहत बेहतर बनाने के दबाव में हम ज्यादा सोचते हैं. खुद के भीतर कमियां ढूंढते हैं, उसी पर फोकस करते हैं.' उन्होंने कहा कि लोगों को वैसे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए, जो वे प्राप्त कर सकें. अच्छी सेहत का लक्ष्य तनाव की बजाय, खुशी का स्रोत होना चाहिए.
यूनाइटेड फॉर ग्लोबल मेंटल हेल्थ (United GMH) की CEO और एडवाइजरी बोर्ड की सदस्य सारा क्लाइन का कहना है कि समाज के हर वर्ग के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनियाभर के देशों का एक साथ आना महत्वपूर्ण है.