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नो गुड नाइट! 61% भारतीयों को 6 घंटे की एकमुश्त नींद भी नसीब नहीं: सर्वे

एक अच्छी नींद के लिए व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है. अगर ये नींद बिना इंटरवल के हो, तो स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी04:32 PM IST, 15 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
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LocalCircles द्वारा किए गए एक सर्वे में भारतीयों की नींद की स्थिति को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. सर्वे से पता चला है कि 61% भारतीय की बिना जागे 6 घंटे की भी नींद नहीं हो पा रही है.

ये स्थिति कोरोना के बाद से खराब होती जा रही है. बता दें एक अच्छी नींद के लिए व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है. अगर ये नींद बिना इंटरवल के हो, तो स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है.

वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर रिलीज हुई लोकल सर्कल्स की इस रिपोर्ट के मुताबिक:

  • सर्वे में शामिल 38% लोगों का मानना है कि उन्हें महज 4 से 6 घंटे की बिना खलल के एकमुश्त नींद मिलती है.

  • जबकि 23% का कहना है कि बीते एक साल में औसतन एक दिन में उन्हें अधिकतम 4 घंटे की ही एकमुश्त नींद मिलती रही है. वहीं 11% भारतीयों को बीते एक साल में 8 घंटे से ज्यादा की एकमुश्त नींद नसीब हुई है.

  • जबकि 72% भारतीयों की नींद टूटने की मुख्य वजह रात में शौचालय के लिए जागना है. अन्य वजहों में पार्टनर, छोटे बच्चे की वजह से, स्वास्थ्य और नौकरी संबंधी कारणों के साथ-साथ अन्य कारण शामिल हैं.

  • वहीं 26% भारतीयों का कहना है कि कोविड-19 के बाद उनकी नींद की स्थिति और भी ज्यादा खराब हुई है.

बीते सालों में खराब हो रही स्थिति

सर्वे के बीते सालों के ट्रेंड से पता चल रहा है कि बिना रोकटोक वाली नींद अब ज्यादातर लोगों के लिए सपना होती जा रही है. 2022 में इस सर्वे में 50% लोगों ने माना था कि उन्हें 6 घंटे तक की ही एकमुश्त नींद हासिल हो पाती है. 2023 में 55% लोगों ने बताया कि उन्हें 6 घंटे तक ही अधिकतम एकमुश्त नींद मिलती है. जबकि हालिया, मतलब 2024 में ये आंकड़ा 61% पर पहुंच गया.

क्या हैं नींद टूटने के कारण

  • सर्वे में ज्यादातर व्यक्तियों ने नींद टूटने की कई वजह बताई हैं. सर्वे के मुताबिक:

  • जैसा ऊपर बताया 72% लोगों का कहना है कि उन्हें रात शौचालय के लिए उठना पड़ता है, जिससे उनकी नींद में खलल पड़ता है.

  • लिस्ट में शामिल प्रतिक्रियाओं में 43% ने देरी से सोने या फिर सुबह जल्दी घरेलू गतिविधियां शुरू होने को वजह बताया है.

  • 10% लोगों का कहना है कि उनकी नींद उनके पार्टनर और बच्चों के चलते टूटती है.

  • फिर 7% का कहना है कि मोबाइल कॉल और मैसेज की वजह से उनकी नींद टूट जाती है. वहीं 25% लोगों ने मच्छरों या बाहरी आवाजों को भी वजह बताया है.

  • 10% लोगों को मेडिकल कंडीशन की वजह से भी नींद में खलल झेलना पड़ता है. उन्हें स्लीप एपनिया और अन्य स्थितियां होती हैं, जिनके चलते वे 8 घंटे एकमुश्त नहीं सो पाते.

इसके अलावा भी लोगों ने कई अन्य कारण बताए हैं.

कोविड के बाद नींद की गुणवत्ता पर कितना असर?

सर्वे में लोगों से पूछे गए सवाल में एक कोरोना के बाद नींद की गुणवत्ता में आए परिवर्तन से भी जुड़ा था. इस सवाल पर 13,627 प्रतिक्रियाएं आईं.

इनमें 26% ने माना है कि कोविड के बाद उनकी सोने की गुणवत्ता बदतर हुई है. जबकि 59% लोगों का कहना है कि उनके सोने की गुणवत्ता प्री कोविड लेवल की तरह ही है. जबकि 5% का ये भी कहना है कि उनकीं नींद में सुधार हुआ है. 10% ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.

इस सर्वे में कुल भारत के 309 जिलों से 41,000 प्रतिक्रियाएं आई हैं. जिनमें से 66% पुरुषों और 34% महिलाओं की हैं.

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