दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स पैर पसार रहा है, जिसे लेकर WHO भी चेतावनी जारी कर चुका है. मंकीपॉक्स के बढ़ते इस खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने अलर्ट जारी किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर सभी राज्यों को एमपॉक्स पर नजर रखने और एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है.
महाराष्ट्र सरकार ने अपने एक निर्देश में एमपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए सर्वे, रोकथाम और संक्रमण के नियंत्रण के लिए लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है.
स्वास्थ्य विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि वैसे तो अभी तक राज्य में कोई केस नहीं मिला है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से अधिकारियों को एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स पर आने वाले यात्रियों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि एमपॉक्स के 'क्लैड IB' वेरिएंट ने कुछ अफ्रीकी देशों पर गहरा असर डाला है. उन्होंने कहा 'हमने जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों और नगर निगमों से सक्रिय मामले पर निगरानी रखने के लिए कहा है. साथ ही एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स पर अधिकारियों से भी कड़ी निगरानी रखने के लिए गया है'.
गाइडलाइन्स में कहा गया है कि अफ्रीका और दुनिया के वो देश, जहां एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं, उन हिस्सों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाए. छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग शुरू भी हो गई है.
बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने प्रिकॉशन के तौर पर अंधेरी के सेवन हिल्स हॉस्पिटल में एमपॉक्स के रोगियों के लिए 14 बिस्तरों वाला एक वार्ड रिजर्व कर दिया है.
नगर निगम ने एक रिलीज जारी करते हुए कहा ‘जिन यात्रियों में एमपॉक्स होने का शक होगा, उन्हें इलाज के लिए BMC के सेवन हिल्स हॉस्पिटल भेजा जाएगा और जरूरत पड़ने पर और बिस्तरों को रिजर्व किए जा सकता है’.
हालांकि नगर निगम ने ये भी साफ कर दिया है कि अभी तक मुंबई में एमपॉक्स का कोई मामला नहीं सामने नहीं आया है.
मंकीपॉक्स जैसा कि नाम से पता चलता है ये बंदरों में पाया जाने वाला संक्रमण है. WHO के मुताबिक, ये वायरस गिलहरी और चूहों में भी पाया जाता है.
सामान्य तौर पर इंसानी शरीर में इस वायरस का असर 2-4 हफ्तों तक रहता है. इस दौरान ग्रसित मरीज को सिरदर्द, बुखार, जननांगों में सूजन, और शरीर पर छाले पड़ने जैसी शिकायतें हो सकती हैं.
ये वायरस कोरोना की तरह ही संपर्क होने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्तिमें प्रवेश कर सकता हैं. संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क, शारीरिक संबंध से भी ये रोग एक इंसान से दूसरे में फैलता है. इसके अलावा ये सांस और लार के जरिये फैल सकता है.
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'ये बीमारी अधिकतर संपर्क से फैलती है और बच्चों में इसके संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती है. ज्यादातर मामलों में ये घातक नहीं होती, लेकिन इसका सही इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है.'
आमतौर पर प्राथमिक उपचार से इससे निजात पाया जा सकता है. लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है.
सरकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि आम लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों पर जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.