IITs में एंट्री का एक बड़ा आकर्षण वहां होने वाला बंपर प्लेसमेंट है. लेकिन IIT बॉम्बे के हालिया प्लेसमेंट से कुछ मिली-जुली तस्वीर सामने आ रही है. 2024 के प्लेसमेंट में 22 छात्रों को 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का पैकेज ऑफर किया गया है. लेकिन दूसरी तरफ एक चौथाई छात्रों को नौकरी ही नहीं मिली.
एवरेज एनुअल पैकेज 23.5 लाख रुपये (सालाना आधार पर 7.7% की ग्रोथ) रहा है. जबकि मीडियन सैलरी 17.92 लाख रुपये है. इससे पिछले साल एवरेज एनुअल पैकेज 21.82 लाख रुपये था.
लेकिन एक दूसरा पहलू भी है. सबसे कम पैकेज 4 लाख रुपये का रहा है. 10 छात्रों को 4 से 6 लाख रुपये/सालाना का पैकेज मिला है. लगभग 25% ऐसे सक्रिय छात्र भी रहे हैं, जिन्हें प्लेसमेंट में हिस्सा लेने के बावजूद नौकरी नहीं मिली.
कुल मिलाकर 1475 छात्रों को जॉब प्लेसमेंट मिली है. जबकि प्लेसमेंट में 1,979 छात्रों ने सक्रिय तौर पर हिस्सा लिया था. हालांकि 2,414 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था.
IIT बॉम्बे में 7 जुलाई को प्लेसमेंट्स खत्म हुए हैं. अब संस्थान ने अपनी प्लेसमेंट रिपोर्ट 2024 जारी की है, जिसमें संस्थान से होने वाले प्लेसमेंट से जुड़ी कई अहम चीजों का पता चला है.
सबसे ज्यादा रिक्रूटमेंट कोर इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर की कंपनियों ने किया, जिन्होंने कुल 430 छात्रों (कुल 106 कंपनियों में) को प्लेसमेंट दिया.
जबकि IT सेक्टर से जुड़ी 84 कंपनियों ने 307 छात्रों को प्लेसमेंट दिया. ये प्लेसमेंट देने वाला दूसरा बड़ा सेक्टर रहा. बीते साल की तुलना में भी इसमें इजाफा हुआ है.
वहीं कंसल्टिंग सेक्टर में 29 कंपनियों ने 117 लोगों को प्लेसमेंट दिया. ये पिछले साल की तुलना में कम है. जबकि फाइनेंस सेक्टर में 33 कंपनियों ने 113 छात्रों को प्लेसमेंट दिया.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, मोबिलिटी, 5G, डेटा साइंस, एनालिटिक्स और एजुकेशन सेक्टर में भी ठीक-ठाक हायरिंग हुई.
इस साल IIT बॉम्बे के प्लेसमेंट में हिस्सा लेने वाली कंपनियों की संख्या में कुल 12% का इजाफा हुआ. कुल 543 कंपनियों ने प्लेसमेंट के लिए रजिस्टर किया था. इसमें से 388 ने सक्रिय ढंग से हिस्सा लिया और कुल 364 कंपनियों ने छात्रों को जॉब ऑफर्स दिए.
इस साल के प्लेसमेंट्स में भी इंटरनेशनल प्लेसमेंट्स ने अहम किरदार अदा किया. 78 छात्रों ने विदेशी कंपनियों के जॉब ऑफर्स स्वीकार किए.
ये कंपनियां जापान, ताइवान, यूरोप, UAE, सिंगापुर, अमेरिका, नीदरलैंड और हॉन्ग कॉन्ग से थीं. इसकी तुलना में पिछले साल सिर्फ 65 इंटरनेशनल ऑफर्स थे. संस्थान का कहना है कि यूक्रेन युद्ध और ग्लोबल इकोनॉमी की रफ्तार धीमी होने के चलते इंटरनेशनल ऑफर्स कम रहे हैं.