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शिक्षा क्षेत्र में भारत का परचम लहराया, QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (एशिया) में चीन, जापान को छोड़ा पीछे

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स (एशिया) में भारत की सबसे ज्यादा 148 यूनिवर्सिटी लिस्ट में शामिल हुईं, ये संख्या पिछले साल के मुकाबले 37 ज्यादा है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:50 PM IST, 08 Nov 2023NDTV Profit हिंदी
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दुनिया में शिक्षा क्षेत्र (Education Sector) के लिए अहमियत रखने वाली QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स- एशिया में भारत ने अपना दबदबा बना लिया है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक इस लिस्ट में भारतीय यूनिवर्सिटी की संख्या सबसे ज्यादा है. भारत (India) ने इस रैंकिंग में चीन (China) को पीछे छोड़ दिया है. भारतीय यूनिवर्सिटी में IIT बॉम्बे (IIT Bombay) इस साल भी टॉप पर रही है.

बुधवार को जारी रैंकिंग में भारत की सबसे ज्यादा 148 यूनिवर्सिटी लिस्ट में शामिल हुईं हैं. ये संख्या पिछले साल के मुकाबले 37 ज्यादा है. इसके बाद लिस्ट में 133 के साथ मेनलैंड चीन और 96 के साथ जापान आता है.

म्यांमार, कंबोडिया, नेपाल पहली बार शामिल

म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल इस रैंकिंग में पहली बार आए हैं. पिछले साल की तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी और पांच IIT- बॉम्बे, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर और कानपुर ने एशिया के टॉप 100 संस्थानों में अपनी जगह बनाई है.

QS में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट Ben Sowter ने कहा कि QS रैंकिंग में भारतीय यूनिवर्सिटी की संख्या का बढ़ना भारतीय एजुकेशन सिस्टम के बेहतरीन विस्तार को दिखाता है. भारतीय संस्थाओं की संख्या में बड़ी ग्रोथ से क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था में सुधार दिखता है. इसके साथ ये एकेडमिक कम्युनिटी में भारत को अपनी मौजूदगी बेहतर करने का रास्ता भी दिखाता है.

इस मामले में भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन

QS की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि PhD पूरी कर चुके स्टाफ के मामले में भारत का सबसे अच्छा स्कोर रहा है. ये मजबूत रिसर्च आउटपुट और बेहतरीन क्वालिफाइड फैकल्टी को दिखाता है. इससे ये भी पता चलता है कि भारत में अपनी एकेडमिक और रिसर्च की क्षमताओं का इस्तेमाल करके दुनिया में अपनी स्थिति को आगे बढ़ाने की क्षमता है.

बयान के मुताबिक इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क में भारत का प्रदर्शन क्षेत्रीय औसत से थोड़ा कम रहा है. भारत को दो चीजों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है- अपने बड़े घरेलू छात्रों की आबादी की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करना और अंतरराष्ट्रीय छात्रों तक आकर्षण को बढ़ाना. इन दोनों क्षेत्रों में बेहतर बनना बड़ी चुनौती है. खासतौर पर इस मामले में दुनिया की रफ्तार के साथ आगे बढ़ना.

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