मां-बाप की हसरत होती है कि उनके बच्चे खूब पढ़ें और जिंदगी में कामयाबी हासिल करें. मगर, ये केवल चाह लेने भर से नहीं हो सकता, इसके लिए चाहिए एक बहुत लंबी और मजबूत तैयारी.
करियर वाली पढ़ाई हायर एजुकेशन पर निर्भर करती है. तकनीकी और आधुनिक शिक्षा से जुड़कर ही गुणवत्तापूर्ण करियर सुनिश्चित हो सकता है. जाहिर है कि बच्चे तो सिर्फ पढ़ेंगे, खर्च जुटाना मां-बाप की जिम्मेदारी हो जाती है. इस चुनौती को समझना भी जरूरी है और इस चुनौती से पार पाना भी.
इन दिनों हायर एजुकेशन पर भारत में 20-25 लाख रुपये खर्च होते हैं. विदेश में यह रकम और भी मोटी होती है. इसलिए जरूरी है कि बचत करना जल्द से जल्द शुरू किया जाए. मगर, सिर्फ बचत से कुछ नहीं होने वाला क्योंकि बढ़ती महंगाई और रुपये की वैल्यू गिरती चली जाती है. लिहाजा बचत को निवेश में बदलना जरूरी है. ऐसा निवेश जिसमें रिटर्न अधिक से अधिक आए.
बात सिर्फ हायर एजुकेशन की नहीं है. इंजीनियरिंग, मेडिकल, MBA या फिर पायलट ट्रेनिंग जैसे क्षेत्र में जाने के लिए पास में मोटी रकम होना जरूरी है. उदाहरण के लिए 2015 में IIT में फीस 60 हजार से 90 हजार के बीच हुआ करती थी, जो अब बढ़कर 6 लाख से 10 लाख तक हो चुकी है. कल्पना कीजिए कि आज से 15 साल बाद फीस कहां होगी?
जब हम यह तय कर लेते हैं कि अब से 15 साल बाद 2038 में हमें 1 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी तो उस हिसाब से हमें अभी से बचत और निवेश की मुकम्मल योजना शुरू कर देनी होगी. यह योजना शिक्षा के लिए जरूरी खर्च, महंगाई, निवेश पर रिटर्न जैसी बातों पर ध्यान देते हुए बनानी होगी. संभव है कि आप उस हिसाब से मासिक बचत के लिए अभी तत्काल तैयार ना हों. लेकिन, इससे हताश ना हों और न ही योजना से पीछे हटें.
कम बचत वाले शुरुआती 3 साल- जैसे मान लिया कि 15 हजार रुपये महीने की बचत. मतलब साल में 1,80,000 रुपये और 3 साल में 5.40 लाख की बचत.
उससे ज्यादा बचत वाले 3 और साल. मान लें कि 22 हजार रुपये महीना यानी सालाना 2,66,000 रुपये और तीन साल में 7.98 लाख रुपये.
दोगुनी बचत वाले 5 साल के दौरान 30 हजार महीने के हिसाब से 3.6 लाख सालाना और 5 साल में 18 लाख रुपये.
फिर अधिकतम बचत वाले अंतिम 4 साल में यह रकम बढ़ाकर 40 हजार रुपये महीना की योजना बनायी जा सकती है. इससे साल में 4.8 लाख और चार साल में 19.2 लाख रुपये की बचत की जा सकती है.
इस तरह सिर्फ अपना मूलधन ही 15 साल में 50 लाख से ज्यादा हो जाता है. 15 साल की निरंतर जमा होती यह रकम निश्चित रूप से ब्याज समेत सवा करोड़ से ज्यादा की हो जाएगी. अगर हम बुद्धिमत्तापूर्वक निवेश करते हैं तो यही रकम और भी बड़ी हो सकती है या फिर थोड़ा निवेश कम रखने की गुंजाइश भी बन आएगी. बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यक रकम वक्त पर पास हो, इसके लिए योजना बनाने की आवश्यकता होगी.
आप तुरंत अगले 15 साल की योजना के साथ तत्काल मासिक बचत और निवेश शुरू कर दें. 3-3-5-4 साल के हिसाब से अपनी बचत और निवेश योजनाओं को आकार दें.
निवेश को कई हिस्सों में बांट लें. उदाहरण के लिए PF पर ब्याज दर 8-9% रहता है. यहां पर निवेश करना सुरक्षित है. बच्चों के लिए कोई यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान सोच लें. इसके लिए एक्सपर्ट की राय ली जा सकती है.
यहां तक कि जमीन के प्लॉट आदि में भी निवेश कर सकते हैं जिसकी कीमत में बढ़ोतरी आपकी जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकती है.
कुछ रकम गोल्ड में भी निवेश कर सकते हैं. दीर्घावधि में गोल्ड में निवेश हमेशा फायदेमंद साबित होता है.
बच्चों की शिक्षा का मकसद वास्तव में मां-बाप की बचत और निवेश की योजनाओं से ही पूरा हो सकता है. अगर इसमें लापरवाही होती है या फिर देरी होती है तो इसका खामियाजा बच्चे को भुगतना होता है जिसके लिए वे कतई दोषी नहीं होते. अपना उत्साह बढ़ाइए और हो सके तो वर्तमान खर्च में कटौती कीजिए, लेकिन बच्चों की शिक्षा के लिए धन की भविष्य में जरूरत को पूरा करने की तैयारी में न देरी करें, न संकोच दिखाएं.