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ट्रंप के टैरिफ से दुनिया पर मंदी का खतरा! जेपी मॉर्गन, बर्नस्टीन ने जताई आशंका, कहा- अगर टैरिफ जारी रहा तो...

जे पी मॉर्गन का एनालिसिस बताता है कि अगर ये टैरिफ पूरी तरह लागू हुए, तो अमेरिका की प्रभावी टैरिफ दर 25% तक पहुंच सकती है, जो 3.3 ट्रिलियन डॉलर के अमेरिकी सामानों के इंपोर्ट पर असर डालेगी.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी10:38 AM IST, 03 Apr 2025NDTV Profit हिंदी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलानों से पूरी दुनिया सहमी हुई है. इन टैरिफ ऐलानों का खुद अमेरिका और दुनिया पर क्या असर होने वाला है, आने वाला समय दुनिया के लिए किन चुनौतियां से भरा है, इस पर ग्लोबल ब्रोकरेज ने अपनी राय दी है.

कई देश जवाबी कार्रवाई करेंगे: बर्नस्टीन

बर्नस्टीन ने अपनी भारत रणनीति नोट (Bernstein India Strategy note) में साफ कहा कि अमेरिका के टैरिफ अगर जारी रहे, तो इससे महंगाई बहुत बढ़ सकती है. इस नोट में बताया गया है कि इसके आर्थिक नतीजे क्या हो सकते हैं और प्रभावित देशों से जवाबी कदम उठने की संभावना भी है.

बर्नस्टीन के मुताबिक, चीन जैसे कुछ देश जवाबी कदमों की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन कई देश पीछे के रास्ते से बातचीत करके हालात को आसान करने की कोशिश करेंगे. व्हाइट हाउस ने स्टील, एल्यूमीनियम, तांबा, दवाइयां, सेमीकंडक्टर, सोना और कुछ खनिजों जैसे उत्पादों को छूट दी है, जो अमेरिका में उपलब्ध नहीं हैं. फिर भी, अगर टैरिफ लंबे समय तक रहे और जवाबी कार्रवाई हुई, तो मंदी का खतरा कम नहीं होगा.

बर्नस्टीन का कहना है कि ये टैरिफ बहुत ज्यादा है, जो कई तरह के आइटम्स पर असर डालेंगे. अमेरिका की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली रेफरेंस टैरिफ रेट में घरेलू टैक्स और करेंसी मैनिपुलेशन जैसे नॉन-टैरिफ उपाय शामिल हैं, जिसकी वजह से भारत पर लगने वाला टैरिफ 26% तक पहुंच गया है. जो कि भारत की ओर से लगाए जाने वाले वास्तविक टैरिफ से ज्यादा है.

टैरिफ के असर पर बर्नस्टीन की राय

  • चीन जैसे कुछ देश इस टैरिफ के खिलाफ कदमों की घोषणा कर सकते हैं

  • कई देश पीछे के रास्ते से बातचीत करके हालात संभालने की कोशिश करेंगे

  • टैरिफ लंबे समय तक रहे और जवाबी कार्रवाई हुई, तो मंदी का खतरा बढ़ेगा

  • भारी टैरिफ से अमेरिका में महंगाई का खतरा बढ़ेगा, डिमांड घट सकती है

  • ये टैरिफ बातचीत की शुरुआत हैं, 2025 की दूसरी छमाही में दरें घट सकती हैं

  • भारत अमेरिका की ओर से लगाई गई टैरिफ चुनौतियों से निपट लेगा

  • भारत ट्रेड वॉर बढ़ाने की बजाय अमेरिका से बातचीत का रास्ता चुनेगा

  • भारी टैरिफ से चीन को नुकसान, लेकिन भारत को फायदा हो सकता है

भारत बातचीत से रास्ता निकालेगा: बर्नस्टीन

ब्रोकरेज का मानना है कि भारी टैरिफ से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है, डिमांड घट सकती है और मंदी की आशंका गहरा सकती है. हालांकि, बर्नस्टीन को लगता है कि ये टैरिफ बातचीत की शुरुआत हैं और 2025 की दूसरी छमाही में ये दरें शायद इतनी सख्त न रहें.

भारत के लिए, अमेरिका का 26% टैरिफ ऊंचा लगता है, लेकिन IT सेवाएं और दवाइयां जैसी अहम चीजों की टैरिफ से छूट दी गई है.ये सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी हैं, तो इससे कुछ राहत मिलती है. बर्नस्टीन का कहना है कि चीन को होने वाले नुकसान से भारत को फायदा हो सकता है, क्योंकि चीनी सामानों पर टैरिफ और भी ज्यादा हैं.

निवेश के नजरिए से, बर्नस्टीन मानता है कि भारत इन टैरिफ चुनौतियों से निपट लेगा और ट्रेड वॉर बढ़ाने की बजाय अमेरिका से बातचीत करेगा. ब्रोकरेज अपनी दूसरी छमाही की आर्थिक सुधार की सोच पर कायम है और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लंबे समय के लिए अच्छा मानता है. हालांकि, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर होने और मंदी का खतरा अभी भी बना हुआ है.

बड़ी आर्थिक गिरावट आने की आशंका: जे पी मॉर्गन

दूसरे दिग्गज ग्लोबल ब्रोकरेज जे पी मॉर्गन ने अपनी हालिया नोट में कहा कि अमेरिका के नए टैरिफ से बड़ी आर्थिक गिरावट आ सकती है, जिससे अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों मंदी में जा सकते हैं. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने लिबरेशन डे पर इन टैरिफ की घोषणा की.

जे पी मॉर्गन का एनालिसिस बताता है कि अगर ये टैरिफ पूरी तरह लागू हुए, तो अमेरिका की प्रभावी टैरिफ दर 25% तक पहुंच सकती है, जो 3.3 ट्रिलियन डॉलर के अमेरिकी सामानों के इंपोर्ट पर असर डालेगी. जो कि करीब 660 बिलियन डॉलर की टैक्स ग्रोथ के बराबर होगा, जो GDP का 2.2% है और हाल के दशकों की किसी भी टैक्स बढ़ोतरी से बहुत ज्यादा है.

टैरिफ के असर पर जेपी मॉर्गन

  • अमेरिका के नए टैरिफ से बड़ी आर्थिक गिरावट आ सकती है

  • अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों मंदी में जा सकते हैं

  • इस साल रिटेल महंगाई (CPI) में करीब 2% की बढ़ोतरी हो सकती है

  • पूरी तरह लागू हुए तो प्रभावी टैरिफ दर 25% तक पहुंच सकती है

  • ये 3.3 ट्रिलियन डॉलर के अमेरिकी सामानों के इंपोर्ट पर असर डालेगी

  • ये $660 बिलियन की टैक्स बढ़ोतरी के बराबर, जो GDP का 2.2% है

  • ये हाल के दशकों की किसी भी टैक्स बढ़ोतरी से बहुत ज्यादा है

ब्रोकरेज ने बताया कि महंगाई पर इसका असर बड़ा होगा, जिससे इस साल कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में करीब 2% की बढ़ोतरी हो सकती है. जे पी मॉर्गन ने कहा कि वे अभी अपने अनुमानों में तुरंत बदलाव नहीं कर रहे हैं, लेकिन इन नीतियों का पूरा लागू होना एक बड़ा आर्थिक झटका होगा. ये झटका बाजार के सेंटीमेंट पर असर डालेगा और प्रभावित देशों ने अगर जवाबी कार्रवाई की तो ये और बढ़ सकता है.

जे.पी. मॉर्गन का कहना है कि अगर ये नीतियां जारी रहीं, तो इस साल अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में चली जाएंगी. आने वाले दिन बहुत महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इन टैरिफ का लागू होना और बातचीत की प्रक्रिया इनके लंबे समय के असर को तय करेगी.

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