CLSA को स्विगी की फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स के क्षेत्र में ग्रोथ की जबरदस्त संभावनाएं दिखती हैं, इसलिए ब्रोकरेज फर्म ने स्विगी की कवरेज को 'outperform' के साथ शुरू किया है, इसका टारगेट प्राइस भी 708 रुपये है जो कि 32% के अपसाइड को दर्शाता है.
CLSA ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि भारत के क्विक कॉमर्स ग्रोथ का सबसे ज्यादा फायदा स्विगी को होने वाला है. CLSA का अनुमान है कि स्विगी का वित्त वर्ष 2024 से 2027 तक क्विक कॉमर्स 6 गुना बढ़ेगा, हालांकि जोमैटो से तब भी आगे नहीं निकल पाएगा.
CLSA का अनुमान है कि भारत का फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स वित्त वर्ष TAM (Total addressable market) 16 बिलियन डॉलर और 27 बिलियन डॉलर होगा. CLSA को दोनों ही कैटेगरी में ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV) 7 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है. CLSA का कहना है कि स्विगी का GOV और रेवेन्यू FY24-27 में 43% और 32% की CAGR से बढ़ेगा.
CLSA का कहना है कि इवेंट बुकिंग और डाइनआउट जैसी सेवाओं और अपने बड़े पैमाने पर लॉयल्टी प्रोग्राम के साथ स्विगी सबसे इनोवेटिव कंज्यूमर प्लेटफॉर्म्स में से एक बनी रहेगी. युवा भारतीयों के बीच सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले ब्रैंड होने के अलावा, ये क्विक कॉमर्स के क्षेत्र में कदम रखने वाली पहली लीडर भी है.
अब सवाल ये है कि क्या स्विगी इन सभी अच्छी बातों के बावजूद अपने आइडियाज को जमीन पर उतार सकता है. CLSA का मानना है कि ऐसा हो सकता है क्योंकि इसने एक मजबूत मैनेजमेंट टीम बनाई है, जो प्रमुख क्षेत्रों में काम कर रही है. स्विगी के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, स्विगी के लिए सबसे बड़ा जोखिम रेगुलेटर्स की ओर से इस सेक्टर की जांच और क्विक कॉमर्स में मोटे-मोटे डिस्काउंट हैं.
CLSA का अनुमान है कि स्विगी, जोमैटो से पिछड़ जाएगी क्योंकि वैल्युएशन डिस्काउंट इस हकीकत को काफी हद तक दर्शाती है. इस बीच, ब्रोकरेज को बाजार में स्विगी के लिए अपनी दोनों प्रमुख कैटेगरीज और नई कैटेगरीज में फलने-फूलने के पर्याप्त अवसर दिख रहे हैं. स्विगी ने शुरुआत तो सबसे पहले की लेकिन, जोमैटो ने GOV पर फूड और क्विक कॉमर्स और ग्राहकों के ट्रांजैक्शन के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया.