कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने मिडकैप-स्मॉलकैप शेयरों अचानक आई तेजी पर एक रिपोर्ट निकाली है और इसका हेडर दिया है- Mad (-cap.) dash. जिसका मतलब है- पागलपन वाली बेतहाशा तेजी.
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि वो अपने सुझाए मिडकैप पोर्टफोलियो को वापस ले रहे हैं क्योंकि उन्हें BFSI सेक्टर के अलावा किसी सेक्टर में ऐसे शेयर नहीं मिले जिनमें 12 महीने के हिसाब से अच्छी तेजी की उम्मीद हो. उनका कहना है कि ज्यादातर नॉन-BFSI शेयर 12-महीने के फेयर वैल्यू के ऊपर ट्रेड कर रहे हैं.
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में आई अचानक तेजी ने बाजार में किसी को दुखी किया तो किसी को खुश. अब आप सोचेंगे कि शेयर चलने पर दुखी कौन होगा? अरे वो लोग दुखी है जो कम कीमतों पर खरीद नहीं पाए और वो लोग खुश जिनके पैसे अच्छे बने.
लेकिन सावधान! अब आपको इस तेजी के पीछे नहीं भागना है. ये हम नहीं, कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) की यही रिपोर्ट कह रही है.
कोटक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है 'हम कई मिडकैप-स्मॉलकैप शेयरों अचानक आई इस बड़ी तेजी के पीछे की फंडामेंटल वजहें खोजने में अक्षम हैं. इनमें से ज्यादातर कंपनियों के फंडामेंटल्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है बल्कि कई मामलों में तो फंडामेंटल्स में खराबी ही आई है. कोटक इक्विटीज के मुताबिक इस रैली के पीछे निवेशकों की ये तर्कहीन उम्मीद है कि इन शेयरों में आगे भी बड़ी तेजी आएगी जैसी पिछले कुछ महीनों में देखने को मिली है'.
निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में पिछले 3 महीने में 20% और 6 महीने में 32% की बड़ी तेजी आई है. वहीं निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 3 महीने में 23% और 6 महीने में 35% का उछाल देखने को मिला
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के मुताबिक, फंडामेंटल्स में खास बदलाव न होने के बावजूद इन शेयरों में तेजी के सेंटिमेंट की कुछ बड़ी वजहें हैं
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रिपोर्ट में बताया गया है कि आमतौर पर संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) का फेवरेट रहने वाला कंजम्पशन (consumption) सेक्टर भी इस रैली में हिस्सा नहीं ले पाया. इस सेक्टर के पीछे छूटने की वजह खपत में कमजोर डिमांड रही है. हालांकि इनके वैल्यूएशन अभी भी ज्यादा हैं क्योंकि इनकी अर्निंग्स में कटौती देखने को मिली है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे टर्नअराउंड की स्टोरी के पीछे निवेशकों ने भरोसा किया है जबकि कई कंपनियां जिनके टर्नअराउंड की बात हो रही है वो कुछ वक्त पहले मुश्किल ऑपरेशनल और फाइनेंशियल परेशानियों का सामना कर रहीं थीं. कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि बाजार को इन कंपनियों के भविष्य में अच्छा करने की बहुत उम्मीद है लेकिन हमें इस उम्मीद का कोई आधार नजर नहीं आता.