टैरिफ के टेरर ने कच्चे तेल की धार को और पतला कर दिया है. ब्रेंट क्रूड जो पिछले हफ्ते 11% टूटा था, ये गिरावट सोमवार को भी जारी है. ब्रेंट क्रूड 4% टूटकर 64 डॉलर के नीचे फिसल चुका है, इस गिरावट के साथ ब्रेंट क्रूड अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है, यानी चार साल के निचले स्तर पर लुढ़क चुका है. नायमैक्स क्रूड भी 60 डॉलर के नीचे पहुंच चुका है. WTI क्रूड वायदा 3% से ज्यादा टूटकर $59.78 प्रति बैरल तक चला गया था. WTI क्रूड पिछले हफ्ते 10.6% टूटा था.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 5 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने से दुनियाभर के इक्विटी बाजारों में हाहाकार मचा हुआ है. टैरिफ की वजह से ग्लोबल मंदी की आशंका जताई जा रही है. जिससे महंगाई बढ़ने और फिर डिमांड में भारी कमी आएगी. जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों पर जबरदस्त दबाव पड़ा है. इसके अलावा एक कारण और भी है. दरअसल, सरकारी कंपनी सऊदी अरामको मई के लिए एशिया में अपने सबसे बड़े खरीदारों के लिए अरब लाइट क्रूड की कीमत में 2.30 डॉलर प्रति बैरल की कटौती करेगी. ये कदम OPEC+ देशों की ओर से उत्पादन बढ़ोतरी की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद उठाया गया है.
ऐसा लगता है कि टैरिफ के मोर्चे पर इस वक्त पूरी दुनिया जैसे दो हिस्सों में बंट चुकी है, एक तरफ अमेरिका है और दूसरी तरफ पूरी दुनिया. चीन ने अमेरिका के ऊपर जवाबी कार्रवाई करते हुए 34% का इंपोर्ट टैरिफ लगा दिया है.
शुक्रवार को चीन ने कहा कि वो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई के जवाब में अमेरिकी सामानों पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा. इससे बाजार इस बात को लेकर और ज्यादा डर गया कि अब ट्रेड वॉर बिल्कुल तय है. यूरोपियन यूनियन का कहना है कि वो बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन वो अपना हित सबसे ऊपर रखेगा. कनाडा ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है. जापान ने इसे राष्ट्रीय आपदा तक घोषित कर दिया है.
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टॉप अधिकारियों ने निवेशकों के मंदी और महंगाई के डर को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है. ट्रंप ने चीन के जवाबी टैरिफ को घबराहट में लिया हुआ फैसला बता दिया और कहा कि बाजार में जो भी गिरावट है वो विदेशी निवेशकों की ओर से जानबूझकर की गई है.
इतना ही नहीं, टैरिफ के मोर्चे पर फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिली. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि नए अमेरिकी टैरिफ उम्मीद से कहीं ज्यादा है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऊंची महंगाई और धीमी ग्रोथ सहित उनके आर्थिक प्रभाव पहले के मुकाबले ज्यादा ज्यादा मजबूत हो सकते हैं.
इस पर डॉनल्ड ट्रंप ने जेरोम पॉवेल को सुनाते हुए कहा कि फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का एक सही समय होगा, वह हमेशा 'देर से' करते हैं, लेकिन अब वह अपनी छवि बदल सकते हैं, और जल्दी से ब्याज दरों में कटौती करें और राजनीति करना बंद करें.
कच्चे तेल के मोर्चे पर अगर कीमतें गिरती हैं तो ये भारत जैसे देशों के लिए अच्छा है, हालांकि ट्रंप ने इसके पहले OPEC+ पर तेल की कीमत में कटौती करने का दबाव बनाया था, जिसके बारे में उनका कहना है कि महंगाई को कम करने और यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने में मदद करने के लिए रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए इसकी जरूरत है. सऊदी अरब ने अमेरिका और यूरोप के लिए भी कीमतों में कमी की, हालांकि ये कमी एशियाई खरीदारों के मुकाबले में बहुत कम थी.