इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग (Israel Hamas Conflict) के बीच कच्चे तेल के भाव (Crude Oil Prices) भी ऊपर नीचे हो रहे हैं, बीते हफ्ते 93 डॉलर तक पहुंचने के बाद ब्रेंट क्रूड 2.5% तक टूट गया, क्योंकि जंग के ज्यादा नहीं बढ़ने की संभावनाएं जताई जाने लगीं, फिलहाल कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है.
पहले खबर आई कि इजरायल गाजा पर जमीनी कार्रवाई करने की योजना बना रहा है, लेकिन अब खबर है कि इजरायल अपनी इस योजना पर दोबारा सोच विचार कर रहा है, क्योंकि लेबनान का आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह जवाबी हमला कर सकता है, जिससे गाजा में 200 बंधकों के लिए खतरा पैदा हो सकता है और इजरायली सैनिकों के भी हताहत होने की आशंका है.
दुनिया के लगभग एक तिहाई कच्चे तेल के स्रोत, मिडिल ईस्ट में किसी भी तत्काल व्यवधान की कमी की वजह से वॉर-रिस्क प्रीमियम में कुछ कमी देखी गई है. हालांकि ब्रेंट अब भी 7 अक्टूबर के हमले से पहले की तुलना में लगभग 7% ऊपर है, और अमेरिका की ओर से ईरान के तेल प्रतिबंधों पर कंप्लायंस को बढ़ाने के साथ साथ तेहरान की ओर से शिपिंग मार्गों में रुकावट पैदा करने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में आगे बढ़ोतरी देखी जा सकती है.
दूसरी तरफ इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने अनुमान जताया है कि कच्चे तेल की ग्लोबल डिमांड इस दशक में अपने चरम पर पहुंच जाएगी. IEA की ओर से जारी सालाना एनर्जी आउटलुक में कहा गया है कि, बेस केस के हिसाब से जिसको स्टेटेड पॉलिसी सिनेरियो कहा जाता है, दुनिया 2020 के अंत तक प्रति दिन 102 मिलियन बैरल तेल की खपत करेगी, जबकि मध्य शताब्दी तक ये घटकर 97 मिलियन बैरल प्रति दिन हो जाएगी.
IEA ने कहा कि पेट्रोकेमिकल्स, एविएशन और शिपिंग इंडस्ट्री में तेल की डिमांड 2050 तक बढ़ती रहेगी, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में आश्चर्यजनक ग्रोथ के बीच रोड ट्रांसपोर्ट से कम मांग की भरपाई करने के लिए ये काफी नहीं होगा.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अबतक ग्लोबल क्रूड ऑयल की खपत में ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले चीन की भूख अगले कुछ वर्षों में तेजी से कम होती चली जाएगी और लॉन्ग टर्म में उसकी कुल खपत में गिरावट आएगी.
रूस और पेट्रोलियम एक्सपोर्टर्स देशों के संगठन इस दशक के अंत तक तेल बाजार में अपनी संयुक्त हिस्सेदारी 45% से 48% तक रखेंगे. सदी के मध्य तक, सऊदी अरब में उत्पादन बढ़ने की वजह से ये 50% से ज्यादा चला जाएगा. IEA के मुताबिक- दूसरी ओर, रूस 2050 तक अपने तेल उत्पादन का लगभग 3.5 मिलियन बैरल या करीब एक तिहाई रोजाना खो देगा, क्योंकि ये मौजूदा क्षेत्रों से उत्पादन को बनाए रखने की जद्दोजहद या बड़े नए क्षेत्रों को डेवलप करने की चुनौती से जूझ रहा है.
IEA को लगता है कि आने वाले वर्षों में ईरान और वेनेजुएला अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में मिल रही लगातार छूट के कारण अपना उत्पादन बढ़ाएंगे. हालांकि, समय के साथ प्रमुख तेल उत्पादकों की बाजार शक्ति में गिरावट आएगी.
कच्चे तेल से अलग आजकल बॉन्ड मार्केट्स पर भी एनालिस्ट्स की नजरें टिकी हुईं हैं. अमेरिका की 10 साल की बॉन्ड यील्ड 4.9% के पार निकलने के बाद वापस से फिसलकर 4.8% पर आ गई है, जिससे ग्लोबल बॉन्ड मार्केट्स में रिबाउंड देखने को मिल रहा है.
बीते सेशन में अमेरिका की 10 साल की बॉन्ड यील्ड 2007 के बाद नई ऊंचाई पर पहुंच गई, फिलहाल इसमें 5bps की गिरावट देखने को मिल रही है. इसका असर ग्लोबल मार्केट्स पर साफ दिखा. यूरोप का Stoxx 600 इंडेक्स में हल्की बढ़त दिखी अमेरिकी फ्यूचर्स में भी 0.4% की तेजी रही. नैस्डेक 100 इंडेक्स फ्यूचर्स को अब माइक्रोसॉफ्ट और एल्फाबेट के नतीजों का इंतजार है.