इजरायल का ईरान पर हमले की आशंका से इनकार नहीं किया जाता है. हालांकि, इससे भी अधिक ध्यान देने वाली बात ये है कि रूस को स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की आगामी नाकाबंदी से फायदा मिलने की उम्मीद है. यदि इजरायल, ईरान पर हमला करता है, तो ये क्रूड के मामले में भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है.
इजरायल चाहे तेल के कुओं, स्टोरेज टैंक या ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले करता है, तो सबसे बड़ी चोट स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर होने की आशंका है, जहां से कच्चे तेल में दुनिया का 27% व्यापार होता है.
ईरान, सऊदी अरब, इराक, कुवैत, ओमान और कतर जो दुनिया के 32% कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं यही नहीं भारत, चीन और यूरोप के कुछ हिस्सों सहित सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ट्रांसपोर्ट के लिए होर्मुज का उपयोग करते हैं.
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज की ये नाकेबंदी इन अर्थव्यवस्थाओं को ठप कर देगी. ये युद्ध किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा, क्योंकि ये तमाम अर्थव्यवस्थाओं में लागत बढ़ाने के काम करेगा.
संभावित स्थिति एक ऐसे देश के लिए एक अवसर पेश कर सकती है जो ईरान के साथ काफी हद तक जुड़ा हुआ है, लेकिन अगर ईरान होर्मुज को ब्लॉक करता है तो रूस को सबसे अधिक फायदा होगा.
उत्तरी अमेरिका, मेक्सिको और वेनेजुएला, कोलंबिया, ब्राजील और अन्य OPEC+ देशों सहित लैटिन अमेरिकी देश आपातकालीन स्थितियों में भारत, चीन और दूसरे देशों की डिमांड को पूरा नहीं सकते हैं.
ऐसी स्थिति में कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो सकती है, संभावित रूप से रूस को भारत की सहायता करने का मौका मिलेगा, जैसा कि उसने यूक्रेन पर हमले के बाद किया था.
अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने रूसी कच्चे तेल के आयात को $60/bbl पर कैप करने पर सहमति व्यक्त की है. ऐसी स्थितियों में जहां कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाएंगी, रूस और भारत अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दबाव में बचाने के लिए एक बार फिर एक-दूसरे की मदद करेंगे .
भारत के लिए इस स्थिति में चिंता की कोई जरूरत नहीं है. बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के मदन सबनवीस ने कहा कि हालांकि रूस प्रोपोर्शनली कीमत बढ़ा सकता है, लेकिन ये मौजूदा कीमतों के बराबर नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि भारत कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए किसी एक पर निर्भर नहीं है.
ICICI सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष सुमित पोखरना भी इससे सहमति जताते हैं. उन्होंने कहा, 'ये संभव है कि भारत एक बार फिर 10-13 डॉलर प्रति बैरल की छूट की मांग करे और आपसी जरूरतों को देखते हुए सौदा हासिल कर ले.
सितंबर 2024 में, भारत ने कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 38% 1.79 मिलियन बैरल प्रति दिन रूस से आयात किया.
ऊर्जा कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के आंकड़ों के मुताबिक, इराक 8,94,000 bpd पर दूसरे स्थान पर रहा, जबकि सऊदी अरब 6,88,000 bpd पर तीसरे स्थान पर रहा.
सितंबर में भारत का कुल कच्चे तेल का आयात 12.7% माह-दर-माह बढ़कर 4.7 mbpd प्रति दिन कच्चे तेल के साथ था.