'अगर लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में नरमी बनी रहती है तो सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल सस्ता करने पर विचार कर सकती है.'
देश के पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने एक कार्यक्रम में ये बात कही और इसके बाद से ही खुदरा बाजारों में तेल की कीमतें कम होने की उम्मीद बंध गई है.
पेट्रोल और डीजल के दाम अगर कम होते हैं तो ये आम लोगों के लिए बड़ी राहत होगी. मई 2022 से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें काफी हद तक स्थिर रही है. हालांकि मार्च 2024 में होली के समय 2 रुपये/लीटर तक की राहत मिली थी, लेकिन तब से कीमतें ऊंची बनी हुई हैं.
ये देखते हुए कि तेल की कीमतें सीधे उनकी मार्केटिंग मार्जिन को प्रभावित करती हैं, आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कटौती से तेल मार्केटिंग कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जुलाई 2024 की शुरुआत से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 16% से अधिक की गिरावट आई है, जो इस सप्ताह की शुरुआत में 33 महीने के निचले स्तर $68.68 प्रति बैरल पर पहुंच गई. वर्तमान में, यह $72-73 प्रति बैरल की रेंज में कारोबार कर रहा है.
कीमतों में ये गिरावट इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL) जैसी तेल मार्केटिंग कंपनियों के लिए पॉजिटिव है, क्योंकि उन्हें कच्चा तेल तो सस्ते में मिल रहा है, जबकि बाजार कीमतों पर डीजल-पेट्रोल बेचने पर उन्हें ज्यादा प्रॉफिट हो रहा है. यानी कि उनके मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हो रहा है.
मार्केट रिसर्च फर्म एमके (Emkay) के अनुसार, तेल की कीमतों में गिरावट के चलते वास्तव में कंपनियों को सितंबर में 13-14 रुपये/लीटर तक का प्रॉफिट हुआ है.
निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कमी के कारण तेल मार्केटिंग कंपनियों की मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है. एमके (Emkay) के अनुसार, सितंबर 2024 को समाप्त होने वाली दूसरी तिमाही के दौरान इंडियन ऑयल, BPCLऔर HPCL का पेट्रोल और डीजल पर मार्जिन 8-10 रुपये/लीटर के रेंज में हो सकता है. ये जून में दर्ज 4-5 रुपये/लीटर की मार्जिन से ज्यादा है.
पेट्रोल और डीजल पर हाई मार्जिन ने न केवल LPG सेल्स में हुए घाटे को कवर किया है, बल्कि ये दूसरी तिमाही में 21% से 138% की EBITDA ग्रोथ भी दे सकता है, जिसमें संभावित रूप से HPCL टाॅप पर है.
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर और एनर्जी लीड अश्विन जैकब ने कहा, 'सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 2-3 रुपये/लीटर की राहत दे सकती है.'
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेट कट का फैसला, संभावित रूप से इस साल की अंतिम तिमाही में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले लिया जा सकता है.
एमके का मानना है कि महाराष्ट्र में चुनावी आदर्श आचार संहिता जारी होने से पहले दीपावली के आसपास पेट्रोल-डीजल के दाम कम किए जा सकते हैं.
हालांकि सितंबर में तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिर गईं, लेकिन फिर से बढ़ कर 72 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं.
एमके का अनुमान है कि भले ही वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में ब्रेंट क्रूड का औसत मूल्य 75 डॉलर के आसपास हो और तेल मार्केटिंग कंपनियों को संभावित प्राइस कट से करीब 4 रुपये/लीटर ही मार्जिन बचे, फिर भी वे 5-7 रुपये/लीटर का हेल्दी मार्केट मार्जिन बनाए रखेंगी.
इसके अलावा, ब्रोकरेज का कहना है कि तेल मार्केटिंग कंपनियों ने LPG में जो घाटा झेला, उसकी भरपाई के लिए उन्हें एकमुश्त सरकारी सब्सिडी की उम्मीद है.