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Crude Price: इजरायल-ईरान के बीच बढ़ती टेंशन ने लगाई कच्चे तेल में आग, 78 डॉलर के करीब पहुंचा भाव

मिडिल ईस्ट में जिस हिसाब से तनाव बढ़ रहा है, उससे तो यही लगता है कि ये मामला जल्दी शांत नहीं होने वाला, ऐसे में तेल सप्लाई को लेकर संकट और गहरा सकता है.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी09:53 AM IST, 04 Oct 2024NDTV Profit हिंदी
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एक तरफ मिडिल ईस्ट जंग की आग में तप रहा है, तो दूसरी तरफ कच्चे तेल की कीमतों में उबाल है. ईरान के मिसाइल हमलों का जवाब देने की तैयारी में जुटा इजरायल किसी भी वक्त उसके तेल ठिकानों पर हमला कर सकता है, इसी आशंका ने तेल की कीमतों में आग लगा दी है

गुरुवार को ब्रेंट क्रूड 5% से ज्यादा उछल गया, जो कि एक साल के दौरान एक दिन में सबसे बड़ा उछाल है. ब्रेंट जो फिलहाल 78 डॉलर प्रति बैरल के करीब घूम रहा है, एक महीने की ऊंचाई पर ट्रेड कर रहा है. WTI क्रूड भी 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है.

इजरायल के हमले पर क्या बोले बाइडेन?

गुरुवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से जब पूछा गया कि क्या वो ईरान की क्रूड फैसिलिटीज पर हमला करने वाले इजराइल का समर्थन करेंगे, तो उन्होंने कहा कि हम उस पर चर्चा कर रहे हैं. बाद में, एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि प्रशासन अब भी इजरायल के साथ बातचीत कर रहा है और उनका मानना ​​है कि अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

मिडिल ईस्ट में जिस हिसाब से तनाव बढ़ रहा है, उससे तो यही लगता है कि ये मामला जल्दी शांत नहीं होने वाला, ऐसे में तेल सप्लाई को लेकर संकट और गहरा सकता है. पूरी दुनिया में जितना तेल सप्लाई होता है, उसका एक तिहाई हिस्सा यहीं से जाता है. इजरायल और ईरान, साथ ही लेबनान, गाजा और अन्य जगहों पर तेहरान के प्रतिनिधि पिछले एक साल से आमने-सामने हैं, जिससे चौतरफा संघर्ष की चिंता बढ़ गई है.

ईरान से घटेगी कच्चे तेल की सप्लाई

ईरान जो कि OPEC का सदस्य है, रोजाना 3 मिलियन बैरल से ज्यादा कच्चा तेल का उत्पादन करता है, इसने इस हफ्ते की शुरुआत में इजरायल पर कई मिसाइलों के साथ हमला कर दिया. ईरान का ये हमला हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए किया गया, जिसे इजरायल ने बीते दिनों निशाना बनाया था.

सिटीग्रुप के अनुमान के मुताबिक अगर इजरायल, ईरान के कच्चे तेल की फैसिलिटीज पर हमला करता है तो मार्केट से रोजाना 1.5 मिलियन बैरल की सप्लाई घट जाएगी. सिटीग्रुप रिपोर्ट में कहता है कि अगर इजरायल छोटे इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला करता है, जैसे कि डाउनस्ट्रीम एसेट्स पर, तो 3 लाख से 4.5 लाख बैरल उत्पादन का नुकसान होगा. एनालिस्ट इस बात की भी चिंता जता रहे हैं कि तेहरान होर्मुज के संकरे रास्ते सहित पड़ोसी देशों या सप्लाई रूट्स में एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को अपना निशाना बना सकता है.

कच्चे तेल की कीमतें अगर ऐसे ही बढ़ती रहीं तो महंगाई फिर से बढ़ सकती है, और रेट कटौती को लेकर जो संभावनाएं बन रही हैं, उन पर खतरा मंडराने लगेगा, क्योंकि सेंट्रल बैंक्स महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों पर अंकुश लगाना शुरू कर देंगे. हालांकि राहत की खबर OPEC+ से आ सकती है कि वो अपनी कुछ बंद सप्लाई को फिर से शुरू कर सकता है, जो कि दिसंबर में शुरू होने की उम्मीद है. इसलिए कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में सप्लाई शुरू हो जाएगी, जिससे कीमतें काबू में आ जाएंगी. साथ ही लीबिया में राजनीतिक उठापटक भी थमा है, इसके बाद यहां से भी उत्पादन फिर से शुरू हो रहा है.

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