'This time It's Different'. अंग्रेजी की ये कहावत शेयर बाजार में कापी पॉपुलर है. दिक्कत ये है कि कोई ये नहीं बताता कि डिफरेंट क्या है? पिछले दिनों शेयर बाजार में आई तेजी की वजह से फिर से इस कहावत के यूज होने की फ्रीक्वेंसी बढ़ गई है.
हमने सोचा कि दिग्गज निवेशक और हेलियस कैपिटल के फाउंडर, समीर अरोड़ा से पूछ लेते हैं कि बाजार में इस बार की तेजी में क्या डिफरेंट है. समीर अरोड़ा ने अपने सधे हुए अंदाज में कहा- 'अगर आप बाजार में निवेश के आंकड़ों को देखें तो FIIs का फ्लो लगभग उतना ही है जितना आमतौर पर किसी भी अच्छे साल में होता है. इस बार बस ये फर्क है कि घरेलू निवेशकों की तरफ से बहुत अच्छा निवेश आया है'.
साफ है कि समीर अरोड़ा के मुताबिक बाजार की इस बार की तेजी के पीछे घरेलू निवेशकों का मजबूत सहारा है यानी डोमेस्टिक इनफ्लो है. बाजार पर स्ट्रैटेजी बताने के साथ-साथ समीर अरोड़ा ने अपने अनुभव से कई ऐसी बातें भी कहीं है जो हर निवेशक के लिए जानना जरूरी है.
निवेशकों को हमेशा ये ध्यान में रखना चाहिए कि जिस तरह की तेजी पिछले 3-4 साल में रही है, ये जरूरी नहीं कि ऐसी तेजी हमेशा चलती रहे. एक ऐसा साल भी बीच में आ सकता है जब बाजार में निगेटिव रिटर्न्स भी मिलेंगे. जरूरी नहीं कि जब बाजार में ज्यादा खरीदारी करने वाले हैं तब रिटर्न भी अच्छा मिले.
समीर अरोड़ा ने बाजार के अपने पुराने अनुभव की बात करते हुए कहा कि एक वक्त था जब मैं बाजार से 20% ज्यादा रिटर्न पाने की कोशिश करता था. ऐसे में होता ये था कि जब बुरा दौर आता था तो कई बार मुझे बाजार से 10% कम रिटर्न का नुकसान भी झेलना पड़ा. अब मुझे लगता है कि अगर आपने बाजार से 5-7% ज्यादा रिटर्न कमा लिया तो वो भी काफी है. अब मैं स्थिर रिटर्न पर फोकस करता हूं.
रेलवे शेयरों को लेकर समीर अरोड़ा का मानना है कि कोई ऑर्डर मिलने की वजह से आई तेजी को देखकर बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए. रेलवे में कॉन्ट्रैक्ट पेमेंट में देरी होती ही है और इससे कंपनियों की ग्रोथ पर असर पड़ता है. हालांकि डिफेंस को सरकार स्ट्रैटेजिक नजरिए से ज्यादा तरजीह देती है और इसमें ज्यादातर सरकार की कंपनियां शामिल हैं.
समीर अरोड़ा पहले फिनटेक कंपनियों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं थे. लेकिन पिछले कुछ वक्त में उन्होंने पेटीएम और जोमैटो में निवेश किया. इस निवेश के पीछे का तर्क बताते हुए समीर ने कहा, 'पहले फिनटेक में कई सारी कंपनियां थीं लेकिन अब इस सेक्टर में भी कंसोलिडेशन हो रहा है. जब भी कोई नया बिजनेस आइडिया आता है तो उसे कई लोग कॉपी करते हैं लेकिन अंत में सिर्फ कुछ ही सफल हो पाते हैं'. फूड डिलीवरी का उदाहरण देते हुए समीर अरोड़ा ने कहा कि कंसोलिडेशन के बाद अब सिर्फ स्विगी और जोमैटो ही इस सेगमेंट में बड़ी कंपनी रह गई हैं. हमें हमेशा कंसोलिडेशन के बाद बची अच्छी कंपनियों में ही निवेश के बारे में सोचना चाहिए.