एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स (Enviro Infra Engineers IPO) 22 नवंबर को IPO लाने जा रही है. कंपनी ने अपने IPO के लिए 140-148 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है. एक एप्लिकेशन के साथ न्यूनतम लॉट साइज 101 शेयरों का है.
SEBI के पास दाखिल रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के मुताबिक, दिल्ली स्थित कंपनी के IPO में 3.86 करोड़ इक्विटी शेयरों के नए शेयर और इसके प्रमोटरों द्वारा 52.68 लाख शेयरों की बिक्री यानी ऑफर फॉर सेल शामिल है. कुल 4.39 करोड़ से अधिक शेयरों की पेशकश के साथ, एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स इस IPO से 650.43 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.
इश्यू खुलेगा: 22 नवंबर
इश्यू बंद होगा: 26 नवंबर
इश्यू प्राइस: 140-148 रुपये/ शेयर
फ्रेश इश्यू साइज: 572.46 करोड़ रुपये
OFS साइज: 77.97 करोड़ रुपये
टोटल इश्यू साइज: 650.43 करोड़ रुपये
प्राइस बैंड के अपर एंड पर मार्केट वैल्यू: 2,598 करोड़ रुपये लॉट साइज: 101 शेयर
अलॉटमेंट: इश्यू साइज का लगभग 50% QIB के लिए 15% NII के लिए और शेष 35% रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए रिजर्व्ड किया गया है.
IPO से मिलने आय में से 181 करोड़ रुपये का उपयोग वर्किंग कैपिटल जरूरत को पूरा करने के लिए किया जाएगा. 120 करोड़ रुपये का इस्तेमाल लोन चुकाने के लिए किया जाएगा. कंपनी उत्तर प्रदेश के मथुरा में 60 MLD सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए अपनी सहायक कंपनी EIEL मथुरा इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट में 30 करोड़ रुपये लगाएगी.
इसके अलावा, एक हिस्से का इस्तेमाल अधिग्रहण और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के माध्यम से अकार्बनिक डेवलपमेंट को पैसे देने के लिए किया जाएगा.
एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स सरकारी अथॉरिटीज और निकायों के लिए जल और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और वाटर सप्लाई स्कीम प्रोजेक्ट्स के डिजाइन, कंस्ट्रक्टिंग, ऑपरेटिंग और रखरखाव में लगी हुई है.
कंपनी ने पिछले सात वर्षों में देशभर में 26 वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और वाटर और सैनिटेशन सेक्टर की प्रोजेक्ट्स पूरी की हैं, जिनमें 31 दिसंबर, 2023 तक 10 MLD और उससे अधिक क्षमता वाले 20 प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.
प्री-IPO दस्तावेजों में साझा किए गए नए वित्तीय रिकॉर्ड के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2023 को समाप्त नौ महीने की अवधि के लिए एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स की कुल आय 4,285 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष 2023 में, आय 3,381 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले 2,235 करोड़ रुपये से अधिक थी.
कंपनी का मुनाफा वित्त वर्ष 2022 में 345 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 550 करोड़ रुपये हो गया, हालांकि, इसने 2021 में 86 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया.
वाटर ट्रीटमेंट के लिए बजट एलोकेशन में कमी सरकारी प्रोजेक्ट्स को प्रभावित कर सकती है.
प्रमुख कर्मचारियों की कमी प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है.
अपर्याप्त कैश फ्लो वर्किंग कैपिटल की जरूरत और ऑपरेशन में बाधा डाल सकता है.
वाटर या वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में सरकारी नीतिगत पहल का लाभ उठाने में विफलता.
सोलर एनर्जी जैसी नई 'वेस्ट टू एनर्जी' पहलों को लागू करने में चुनौतियों से इनिशिएटिव प्रभावित हो सकता है.
कंस्ट्रक्शन मैटेरियल, लेबर कॉस्ट और कॉन्ट्रैक्ट चार्ज में ग्रोथ से बिजनेस का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है.
पिछले नकारात्मक कैश फ्लो जारी रह सकते हैं, जिससे भविष्य के कैश फ्लो और वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है.