एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स (Emcure Pharmaceuticals Ltd.) का IPO आज से खुल गया है. इस IPO के माध्यम से कंपनी का लक्ष्य 1,952 करोड़ रुपये जुटाना है. पुणे बेस्ड फार्मा कंपनी के IPO में 800 करोड़ रुपये के फ्रेश इश्यू और 1.14 करोड़ इक्विटी शेयरों का OFS शामिल है.
बैन कैपिटल समर्थित इस कंपनी ने अपने IPO के लिए 960-1,008 रुपये/शेयर का प्राइस बैंड तय किया है.
प्राइस बैंड की ऊपरी सीमा (₹1,008) पर इसकी मार्केट वैल्यू 19,060 करोड़ रुपये है. US-बेस्ड प्राइवेट इक्विटी मेजर, बैन कैपिटल की सहयोगी BC इन्वेस्टमेंट IV लिमिटेड OFS में 72.34 लाख शेयर्स बेचेगी.
कोटक महिंद्रा कैपिटल, एक्सिस कैपिटल, जेफरीज इंडिया और जेपी मॉर्गन इंडिया इस IPO के बुक-रनिंग लीड मैनेजर हैं. निवेश के लिए न्यूनतम लॉट साइज 14 शेयर का है. इन्वेस्टर्स कई लॉट के लिए दांव लगा सकते हैं.
पैसे लगाने से पहले कंपनी के बिजनेस, उसकी फाइनेंशियल स्थिति और जोखिमों के बारे में जान लेना जरूरी है.
IPO खुला- 3 जुलाई (आज से)
IPO बंद होगा- 5 जुलाई
प्राइस बैंड- ₹960-1,008/शेयर
कुल वैल्यू- ₹1,952 करोड़
फ्रेश इश्यू- ₹800 करोड़
ऑफर फॉर सेल- 1.14 करोड़ शेयर्स
लॉट साइज- 14 शेयर्स/लॉट
लिस्टिंग- NSE, BSE
फ्रेश इश्यू से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी कई जगह करेगी. इनमें से 600 करोड़ रुपये की आय का इस्तेमाल, कर्ज चुकाने में किया जाएगा. वहीं आय को सामान्य कार्पोरेट उद्देश्यों के लिए बांटा जाएगा. इनमें ऑर्गेनिक व इनऑर्गेनिक ग्रोथ के लिए फंडिंग और अधिग्रहण के अलावा सहायक कंपनियों में निवेश करना शामिल हो सकता है.
एमक्योर फार्मा, कई प्रमुख चिकित्सीय क्षेत्रों में फार्मास्यूटिकल्स प्रॉडक्ट्स की एक ब्रॉड रेंज की डेवलपिंग, मैन्युफैक्चरिंग और ग्लोबली मार्केटिंग करती है.
एमक्योर की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, कंपनी के पास देश भर में 350 से अधिक ब्रैंड, 5 रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर और 14 मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज है.
कंपनी भारत के अलावा यूरोप और कनाडा में मजबूत उपस्थिति के साथ 70 से अधिक देशों में प्रॉडक्ट्स सेल करती है.
कंपनी क्रॉनिक थेरेपी क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले फार्मा प्रॉडक्ट्स पर केंद्रित है. इसे 220 पेटेंट दिए गए हैं और कई देशों में इसके 30 पेटेंट आवेदन लंबित हैं. इसने US-FDA के पास API के लिए 102 ड्रग मास्टर फाइलें जमा की थीं.
31 मार्च, 2024 तक की जानकारी के मुताबिक, कंपनी के पास देश में 548 वैज्ञानिकों की एक टीम और 5 डेडिकेटेड रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटीज हैं.
वित्त वर्ष 2024 के दौरान कंपनी का लाभ 6.1% घटकर 527.57 करोड़ रुपये रहा. साथ ही एबिटा मार्जिन में भी गिरावट आई. इस वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का ऑपरेशन से रेवेन्यू 11.2% बढ़कर 6,658.25 करोड़ रुपये हो गया. कुल रेवेन्यू का 51.72% भारत के बाहर सेलिंग से हासिल हुआ.
कोई भी मैन्युफैक्चरिंग या क्वालिटी कंट्रोल की दिक्कत कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है.
क्वालिटी स्टैंडर्ड्स का पालन न करने पर प्रॉडक्ट लायबिलिटी क्लेम्स हो सकते हैं, जो कंपनी के बिजनेस और फाइनेंशियल स्थिति पर बुरा असर डाल सकते हैं.
मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज और रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर का ऑपरेशन जोखिमों के अधीन है.
कंपनी भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापक सरकारी रेगुलेशंस के अधीन है.
सप्लाई में कोई दिक्कत हुई या फिर कच्चे माल (Raw Materials) और प्रॉडक्ट्स की कीमतें बढ़ीं तो सप्लाई और प्राइसिंग में बुरा असर हो सकता है.
कंपनी अपने प्रॉडक्ट्स के डिस्ट्रिब्यूशन और मार्केटिंग के लिए थर्ड पार्टी पर निर्भर है.