बीते कुछ समय से IPO मार्केट अपने उफान पर है, अलग-अलग तरह की कंपनियां निवेशकों की ओर लगातार बढ़ रहीं हैं. ऐसे में निवेशकों के लिए ये अहम हो जाता है कि वो सही विकल्प चुनें क्योंकि इससे उनके पोर्टफोलियो की क्वालिटी पर असर पड़ेगा.
निवेश करते समय जो रणनीति वो अपनाते हैं, उससे पता चलता है कि वो कितना रिस्क ले रहे हैं. ऐसे समय में चुनाव करते समय कुछ अहम चीजों पर फोकस करना चाहिए. आइए जान लेते हैं कि IPO में निवेश करते समय व्यक्ति को किन बातों पर ध्यान देना चाहिए.
अलग-अलग कंपनियां IPO मार्केट में पैसा जुटाने की कोशिश कर रही हैं. समय बीतने के साथ उनकी ग्रोथ से ये तय होगा कि उनका प्रदर्शन कैसा रहता है. हाल ही में कई विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों ने बाजार में उतरने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है. इससे निवेशकों को एक अलग किस्म का स्वाद मिला है. छोटी कंपनियों के मुकाबले ये अपने बिजनेस और काम करने के तरीके को लेकर ज्यादा स्थिर हैं.
ऐसा हो सकता है कि उनके बुनियादी सिद्धांत भी निवेशक के लिए आराम का एक मौका दें. ऐसे में निवेशक के लिए उन कंपनियों के आकार और प्रकार को देखना महत्वपूर्ण है जिनमें वे निवेश कर रहे हैं क्योंकि जब स्थिति कठिन हो जाती है तो इससे फर्क पड़ सकता है. उन कठिन परिस्थितियों में ही मजबूत कंपनियां स्थिर रहेंगी और विकास के अगले चरण में जाएंगी.
ऐसा हो सकता है कि उनके फंडामेंटल्स निवेशक को ये जानकारी दें कि क्या उन्हें निवेश करना चाहिए. ऐसे में निवेशक के लिए कंपनियों के साइज और टाइप को देख लेना जरूरी है. कोई भी मुश्किल होने पर इससे फर्क पड़ सकता है. मुश्किल आने पर मजबूत कंपनियां स्थिर रहेंगी और ग्रोथ की ओर बढ़ेंगी.
निवेशकों के सामने ऐसी कंपनियों के बहुत से विकल्प मौजूद होते हैं, जो IPO लेकर आ रही हैं. इसमें व्यक्ति को ये भी देख लेना चाहिए कि ये कंपनियां किस सेक्टर में काम कर रही हैं. बाजार में तेजी है, इसका ये मतलब नहीं कि हर सेक्टर की हर कंपनी अच्छा प्रदर्शन करेगी. ऐसे कई सेक्टर्स हैं जहां प्रतिस्पर्धा बहुत है और जहां निवेश और ब्रैंड के नाम की अहम भूमिका है.
वहीं ऐसे उभरते और नए सेक्टर्स भी हैं जहां बहुत अवसर हैं. दोनों तरह की स्थितियों के अपने जोखिम और ईनाम हैं. निवेशकों को ऐसे सेक्टर्स का चुनाव करना चाहिए जिनमें वो एक्सपोजर चाहते हैं.
किसी भी निवेशक को प्राथमिक बाजार में निवेश करते समय सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक जिस पर विचार करना होता है वह वह मूल्यांकन है जो वे किसी कंपनी के लिए भुगतान कर रहे हैं। यह सर्वविदित है कि जब चीजें अच्छी चल रही होती हैं तो बड़ी संख्या में ऐसे मुद्दे होते हैं जहां कीमत बहुत अधिक होती है और यह बाद में निवेशक के लिए एक बड़ी हिट साबित हो सकती है। कई क्षेत्रों में काफी उछाल देखा जा रहा है और इससे आईपीओ की कीमत बढ़ सकती है जो इसे बहुत महंगा बना सकती है। किसी को पहले देखे गए अन्य दो कारकों के प्रकाश में मूल्यांकन पर विचार करना होगा जो कि कंपनी का आकार और प्रकार और वह क्षेत्र है जिसमें यह संचालित होता है। मूल्यांकन स्तर को आराम देना होगा अन्यथा उनके आरामदायक स्तर पर लौटने का इंतजार करना बुद्धिमानी हो सकती है।
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किसी भी निवेशक को प्राइमेरी मार्केट में निवेश करते हुए जिन सबसे अहम चीजों को देख लेना चाहिए, उनमें से एक वैल्युएशन है जिसका वो कंपनी के लिए भुगतान कर रहे हैं. जब बाजार अच्छा चल रहा होता है, तब बड़ी संख्या में इश्यू आते हैं जहां कीमत अच्छी होती है और ये बाद में निवेशक को झटका दे सकता है.
व्यक्ति को कंपनी के साइज और टाइप के साथ ही वैल्युएशन देखना होता है. वैल्युएशन से परेशानी नहीं होनी चाहिए, उनके सही स्तर पर वापस जाने का इंतजार करें.
पोर्टफोलियो में कंपनी को शामिल करते समय मिक्स्ड स्ट्रैटजी अपनानी चाहिए. IPO मार्केट किसी कंपनी के लिए शुरुआती गेटवे हो सकता है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि ये एक्सपोजर का एकमात्र रास्ता हो.
निवेशक वैल्युएशन और अन्य मापदंडों के आधार पर दोनों प्राइमेरी और सेकेंडरी मार्केट के मेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे उन्हें सही एक्सपोजर मिलेगा. इससे वो उस कीमत और मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं जो उन्हें सही लगती है.
अर्णव पंड्या
(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)