किसी भी कंपनी के IPO की लिस्टिंग के लिए निवेशकों को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. आज से वॉलिंटयरी बेसिस पर T+6 की जगह T+3 नियम लागू कर दिए गए हैं. इसका मतलब ये हुआ कि किसी IPO की लिस्टिंग अब 6 दिन की बजाय 3 दिन में की जा सकेगी.
वॉलिंटयरी बेसिस या स्वैच्छिक तौर पर फिलहाल इसकी शुरुआत की गई है, जबकि आने वाले 1 दिसंबर से कंपनियों के लिए ये नियम अनिवार्य हो जाएगा.
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 28 जून की बैठक में ही ये तय कर लिया था और इस नियम को मंजूरी दे दी थी, जबकि बीते महीने 9 अगस्त को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया.
पहले IPO बंद होने के बाद शेयर बाजार में जिस कंपनी की लिस्टिंग 6 दिन में होती थी, अब वो लिस्टिंग 3 दिन में ही हो सकेगी. SEBI के इस फैसले से IPO मार्केट में लिस्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी और IPO में शेयर अलॉट नहीं होने की कंडीशन में रिफंड भी जल्दी मिलेगा.
निवेशकों का आवेदन: 3 इन 1 अकाउंट्स के जरिए आवेदन करने पर IPO की अवधि के आखिरी दिन (T Day) 5 बजे तक आवेदन कर सकेंगे.
अन्य इलेक्टॉनिक माध्यमों जैसे इंटरनेट बैंकिंग और UPI के जरिए शाम 4 बजे तक आखिरी आवेदन किया जा सकेगा. ,
वहीं जो निवेशक फिजिकल एप्लिकेशन देना चाहते हैं वो बैंकों में, इश्यू के आखिरी दिन दोपहर 1 बजे तक आवेदन जमा कर सकते हैं.
आवेदन में बदलाव: निवेशक, IPO की अवधि के आखिरी दिन (T Day) 5 बजे तक अपने आवेदन में बदलाव कर सकेंगे.
आवेदन रिजेक्शन की डेडलाइन: T+1 यानी IPO बंद होने के अगले दिन शाम 6 बजे तक
स्टॉक एक्सचेंज से अलॉटमेंट का बेसिस तय करना: T+1 यानी IPO बंद होने के अगले दिन रात 9 बजे तक.
अलॉटमेंट की जानकारी: T+2 यानी IPO बंद होने के दूसरे दिन रात 9 बजे तक कंपनी की वेबसाइट या मर्चेंट बैंकर की वेबसाइट पर अलॉटमेंट की जानकारी देनी होगी.
ट्रेडिंग की शुरुआत: T+3 यानी क्लोजिंग के तीसरे दिन शेयर की लिस्टिंग होगी और शेयरों में ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी.