SME IPO में हो रही भारी गड़बड़ी के बाद SEBI ने नियमों को कठोर करने का प्रस्ताव पेश किया है. मार्केट रेगुलेटर ने इसके लिए मंगलवार, 19 नवंबर को एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. दरअसल SEBI ने कुछ छोटी और मझोली कंपनियों यानी SMEs के IPO में हेरफेर का पैटर्न देखा है. मार्केट रेगुलेटर इसी हेरफेर को रोकना चाहता है.
आपको बता दें सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने SME कंपनियों के शेयरों में संभावित हेरफेर की चेतावनी दी थी. इसी साल मार्च में उन्होंने बाजार के कई क्षेत्रों में वैल्यूएशन में उछाल को एक बबल बताया था.
नए प्रस्ताव में SEBI लिस्टिंग प्रक्रिया को अधिक मजबूत बनाने के लिए SMEs IPO में निवेश का साइज बढ़ाने का विचार कर रहा है. इसे बढ़ाकर कम से कम 2 लाख रुपये तक करने का प्रस्ताव है, आपको बात दे अभी तक ये रकम 1 लाख रुपये निवेश का है. बात करें NII कैटेगरी की तो इसे 10 लाख रुपये तक और 10 लाख रुपये से ज्यादा में दो भागों में बांटने का प्रस्ताव है. ऑफर फॉर सेल (OFS) पर SEBI कुछ अंकुश लगाने की योजना बना रही है. जिसमे OFS इश्यू का 20% से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
SEBI 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के इश्यू के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति करने की योजना बना रही है. वहीं छोटे इश्यू के लिए, फंड के इस्तेमाल के लिए ऑडिटर सर्टिफिकेशन जरूरी करने पर भी विचार कर रही है.
इसके साथ ही SEBI ने शेयर बेचने पर भी प्रस्ताव पेश किए है. जैसे की प्रोमोटर के लिए शेयर से निकलने पर लॉक-इन का प्रस्ताव. मिनिमम प्रोमोटर कंट्रिब्यूशन (MPC) को 5 साल तक करने की योजना. इसके साथ ही प्रोमोटरअतिरिक्त हिस्सेदारी को दो फेज में बेचेगा, इश्यू के 1 साल बाद 50%, 2 साल बाद बाकी 50%
SMEs IPO को लेकर सवाल बहुत पहले से उठ रहे हैं. मगर SEBI तब और भी ज्यादा सतर्क हुई जब कुछ समय पहले रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के IPO मार्केट में आया था. ये इश्यू 400 गुना सब्सक्राइब हो गया था. इसने सबको हैरान कर दिया था. सिर्फ 2 शोरूम और 8 कर्मचारियों के साथ यामाहा डीलरशिप वाली कंपनी ने निवेशकों से ₹12 करोड़ मांगे, मगर बोलियां मिलीं 5,022 करोड़ रुपये की.
रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के सब्सक्रिप्शन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डिबेट छेड़ दी थी. इन सभी बातों को देखते हुए SEBI ने SME IPO लिस्टिंग प्रोसेस को अधिक मजबूत बनाने के लिए नया प्रस्ताव पेश किया है.