भारत के प्राइमरी मार्केट ने इस सप्ताह सुर्खियां बटोरी हैं, क्योंकि लोग छोटी और मीडियम कंपनियों के IPO में ज्यादा पैसा लगा रहे हैं. यही नहीं IPOs को लेकर विदेशी निवेशकों के नजरिए में भी बदलाव आया है. बाजार के रेगुलेटर SEBI की बढ़ती जांच के बावजूद छोटी कंपनियों की लिस्टिंग बहुत आकर्षक बनी हुई है.
अधिकांश IPO में OFS ज्यादा होते हैं. ऐसे में बहुत कम पैसा ही कंपनियों तक पहुंचता है. इक्विटी बाजार महंगे हो गए हैं, और इसलिए विदेशी निवेशकों ने भी प्राइमरी मार्केट की ओर रुख कर लिया है.
NDTV प्रॉफिट ने एशिया के तीसरे सबसे बड़े प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट को समझने में मदद की है.
विदेशी निवेशकों ने सेकेंडरी से प्राइमरी मार्केट पर ध्यान केंद्रित कर रखा है क्योंकि लिस्टेड शेयर महंगे हो गए है. इस साल अब तक विदेशी फंडों ने प्राइमरी मार्केट से 54,782.4 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, हालांकि इसी दौरान सेकेंडरी मार्केट में 30,670.3 करोड़ रुपये के शेयर बेचे भी हैं.
भारत के बेंचमार्क NSE निफ्टी 50 और S&P BSE सेंसेक्स इस साल अब तक 15% और 13.2% बढ़ गए हैं, जिससे वे पांचवें और सातवें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एशियाई इंडेक्स बन गए हैं.
मिडकैप बेंचमार्क का वैल्यूएशन निफ्टी 50 से अधिक है और स्मॉलकैप स्टॉक भी तेजी से बढ़ रहे हैं. निफ्टी का प्राइस-टू-इक्विटी रेश्यो 24.4 है, जबकि स्मॉल-कैप और मिड-कैप इंडेक्स 33.6 और 45.8 पर है.
प्राइमरी मार्केट में विदेशी इन्फ्लो 2021 के बाद से सबसे अधिक हुआ है.
पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स (Pantomath Capital Advisors) के अनुसार बड़ी तादाद में कंपनियां 2024 में पब्लिक होने के लिए तैयारी कर रही है. इसकी बड़ी वजह निवेशकों का भरोसा है. पिछले कुछ सालों में नए शेयरों के अच्छे प्रदर्शन ने भी निवेशकों को IPO की ओर आकर्षित किया है.
एक अन्य दिलचस्प ट्रेंड के तहत इस साल दो-तिहाई IPO में प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स और प्रमोटर्स ने बिक्री के लिए अपने ऑफर किए हैं. ऐक्सिस ऐसेट मैनेजमेंट के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आशीष गुप्ता ने एक रिपोर्ट में कहा कि बाकी एक तिहाई रकम में से सिर्फ 20% रकम कैपेक्स के लिए है.
इस साल मेनबोर्ड स्पेस में डेब्यू करने वाली कंपनियों में, ज्योति CNC ऑटोमेशन 280% से अधिक रिटर्न के साथ - टॉप परफॉर्मर रहा है. Exicom टेली-सिस्टम्स , प्लेटिनम इंडस्ट्रीज , भारती हेक्साकॉम और यूनिकॉमर्स ईसॉल्यूशंस 100% से अधिक लाभ के साथ अन्य टॉप IPO हैं.
कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक, पॉपुलर व्हीकल्स एंड सर्विसेज और गोपाल स्नैक्स लिमिटेड इस साल अब तक घाटे में चल रहे IPO रहे हैं.
SME स्पेस में IPO के जरिए जुटाई गई कुल राशि पहले छह महीनों में दोगुनी हो गई है.
प्राइम डेटाबेस (Prime Database) के आंकड़ों के अनुसार, संख्या और कुल जुटाई गई धनराशि के हिसाब से, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही पिछले पांच सालों में सबसे अच्छी रही है, जिसमें 50 कंपनियों ने 1,632.3 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
मार्केट रेगुलेटर की जांच के बावजूद, SME IPOs ने जुलाई से निवेशकों की संपत्ति को दोगुना किया है. 33 कंपनियों की लिस्टिंग में से लगभग 15 ने शुरुआत के दिन में ही पैसों को दोगुना कर दिया.
डेजर्व के को फाउंडर वैभव पोरवाल के अनुसार, SME शेयरों में हालिया उछाल और मजबूत लिस्टिंग लाभ के लिए लिक्विडिटी, FOMO इफेक्ट और रिटोल भागीदारी प्रमुख कारण हैं.