जेन स्ट्रीट मार्केट रेगुलेटर SEBI के बाजार में हेरफेर के आरोपों के खिलाफ अपने बचाव में जुटी है. जुलाई की शुरुआत में नियामक ने आरोप लगाया था कि जेन स्ट्रीट ने बड़ी मात्रा में पोजीशन ली थीं जिससे देश के शेयर और वायदा बाजारों में कीमतों पर कृत्रिम रूप से असर पड़ा और कई दिनों तक उनके विकल्प दांव उसके पक्ष में रहे.
मामले से परिचित लोगों के अनुसार, जेन स्ट्रीट ग्रुप LLC ये तर्क दे सकता है कि उसके विवादास्पद भारतीय ऑप्शंस ट्रेड में मुनाफा खुदरा निवेशकों की बहुत ज्यादा मांग के चलते हुआ था.
जेन स्ट्रीट ने सोमवार को कहा कि उसने अंतरिम आदेश का जवाब देने के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की है, पिछले हफ्ते, SEBI ने जेन स्ट्रीट पर अस्थायी व्यापार प्रतिबंध हटा लिया था, क्योंकि कंपनी ने कथित "अवैध लाभ" के रूप में कमाए 48.4 अरब रुपये (56 करोड़ डॉलर) एक एस्क्रो खाते में जमा कर दिए थे.
जेन स्ट्रीट ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा, कंपनी ऐसे काम के लिए प्रतिबद्ध है जो भारत के पूंजी बाजारों की अखंडता को बनाए रखता है और उनके निरंतर विकास में योगदान देता है. हम SEBI के साथ बातचीत कर रहे हैं और 3 जुलाई को जारी अंतरिम आदेश का जवाब देने के लिए विस्तार मांगा है"
दिलचस्प ये है कि पिछले हफ्ते मार्केट रेगुलेटर ने जेन स्ट्रीट पर अस्थायी व्यापार प्रतिबंध हटा लिया था. इतना बड़ा आरोप और सिर्फ एक हफ्ते का प्रतिबंध!
सेबी ने 3 जुलाई को 105 पन्नों के अंतरिम आदेश में जेन स्ट्रीट पर अंतरिम प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें विस्तृत जांच अभी जारी है. रेगुलेटर ने आरोप लगाया था कि जेन स्ट्रीट ने बाजार में हेरफेर किया और ₹4,843.57 करोड़ का "अवैध लाभ" कमाया. इस आदेश के तहत, जेन स्ट्रीट से जुड़ी सभी फर्म्स को को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से शेयर्स, फ्यूचर्स और ऑप्शंस सहित तमाम तरह की सिक्योरिटीज तक पहुंचने और खरीदने, बेचने या उनमें डील करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था. रेगुलेटर ने ₹4,843.57 करोड़ के अवैध लाभ को जब्त करने का भी आदेश दिया था और जेन स्ट्रीट को ये रकम एक एस्क्रो खाते में जमा करने के लिए कहा था. साथ ही कंपनी के सभी बैंक खाते, डीमैट खाते और कस्टोडियल खाते फ्रीज कर दिए गए थे.
सेबी का आरोप है कि जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी इंडेक्स में हेरफेर करने के लिए आक्रामक इंट्राडे ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल किया, जिसमें सुबह भारी खरीदारी करके कीमतों को ऊपर धकेलना और बाद में बेचने से कीमतों को नीचे लाना शामिल था. रेगुलेटर के अनुसार, इस पैटर्न से ट्रेडों में लगभग ₹200 करोड़ का इंट्राडे नुकसान हुआ, लेकिन इंडेक्स से जुड़े ऑप्शंस में बहुत अधिक मुनाफा हुआ. सेबी का कहना है कि जेन स्ट्रीट के डेरिवेटिव्स को फायदा पहुंचाने के लिए कृत्रिम रूप से इंडेक्स के लेवल को बदलने के लिए स्ट्रैटेजी तैयार की गई थी. सेबी ने कहा कि इससे खुदरा निवेशकों को नुकसान हुआ, जबकि जेन स्ट्रीट ने अवैध लाभ कमाया.