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मिड और स्मॉल कैप फंड्स में क्यों बढ़ा निवेश, AMFI चेयरमैन ने बताई वजह

नवनीत मुनोत का कहना है कि स्मॉलकैप और मिडकैप फंड्स में निवेश बढ़ने के पीछे वजह हाल ही की घटनाएं हैं. निवेशक हाल ही की घटनाओं को देखते हुए निवेश कर रहे हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:11 PM IST, 08 Nov 2023NDTV Profit हिंदी
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एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के हाल ही में नियुक्त चेयरमैन नवनीत मुनोत का कहना है कि स्मॉल कैप (Small Cap Funds) और मिड कैप फंड्स में निवेश बढ़ने के पीछे वजह हाल ही की घटनाएं हैं. निवेशक (Investors) हाल ही की घटनाओं को देखते हुए निवेश कर रहे हैं. सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) में निवेश सितंबर में 16,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. मुनोत ने BQ Prime से कहा कि पिछले साल में मिड और स्मॉल कैप फंड्स में निवेश बढ़ा है.

बाजार में हाल की गिरावट के बावजूद निवेशकों ने मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश करके पिछले दिनों में अच्छी कमाई की है. मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स को भी अच्छा रिटर्न मिला है.

इस डेटा को ध्यान से देखिए. 30 सितंबर तक नेट एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 46 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहे. इसमें से स्मॉल कैप फंड्स के लिए नेट AUM 48.8% बढ़ा. जबकि सभी ओपन-एंडेड स्कीम्स के लिए ये 12.1% रहा.

स्मॉलकैप स्कीम्स में रिकॉर्ड निवेश

स्मॉल कैप स्कीम्स में इस साल सबसे ज्यादा इनफ्लो रहा है. जनवरी से सितंबर के दौरान करीब 29,000 करोड़ रुपये का निवेश आया. वहीं इसी अवधि के दौरान लार्ज कैप फंड्स में सबसे ज्यादा आउटफ्लो रहा. जनवरी के बाद इन फंड्स से निवेशकों ने 3,700 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले हैं.

स्मॉल कैप शेयरों के प्रदर्शन का भी फंड फ्लो का असर दिख रहा है. निफ्टी स्मॉलकैप 250 में इस साल जनवरी के बाद करीब 30% की तेजी आई है. हालांकि नवनीत मुनोत ने सतर्क किया कि 'पिछले छह महीने की घटनाओं को देखकर अंदाजा न लगाएं कि अगले छह महीने या एक साल में भी यही होगा और ऐसा ही रिटर्न मिलेगा. ऐसे में निवेशक फंड्स के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड और अपनी जोखिम की क्षमता को भी देखें.'

एसेट मैनेजमेंट कंपनियों ने भी उठाए कदम

एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को लगता है कि सिर्फ चेतावनी काफी नहीं है. इसलिए उन्होंने अन्य कदम भी उठाए हैं. इस साल जून में कुछ फंड्स ने एकमुश्त भुगतान लेना बंद कर दिया है. HDFC AMC का डिफेंस फंड इनमें शामिल रहा. फंड ने एकमुश्त निवेश मंजूर करना बंद कर दिया और SIPs पर 10,000 रुपये की सीमा लगा दी.

मुनोत ने कहा कि 'हमने सोचा कि निवेशकों को लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना चाहिए.'

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