सोमवार को एसोसिएशन ऑफ म्यूचु्अल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने मई महीने के म्यूचुअल फंड के आंकड़े जारी किए. इस कार्यक्रम के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 4 जून को बाजार में आई गिरावट का भी जिक्र हुआ.
म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स, जिन्होंने 4 जून को बाजार में आई बड़ी गिरावट का फायदा उठाते हुए बाजार में म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश किया, अगले दिन जितनी नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर यूनिट मिली, उससे उन्हें बड़ी निराशा हुई.
AMFI के CEO वेंकट चालसानी (Venkat Chalasani) ने बताया कि म्यूचुअल फंड हाउसेस को इसके बारे में बताया है और वो इसकी जांच कर रहे हैं.
चालसानी ने कहा, 'SEBI की गाइडलाइंस के मुताबिक, हम अपने कदम पर स्पष्ट हैं'. उन्होंने कहा, 'एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को अगर दोपहर 3 बजे के पहले इनफ्लो मिलता है, तो वो उसी दिन अमाउंट को अलॉट करती है. अगर ये पैसा कट-ऑफ टाइम के बाद पहुंचता है, तो NAV अगले दिन अलॉट होता है'.
उन्होंने स्पष्ट किया कि म्यूचुअल फंड स्कीम में यूनिट के लिए किया गया अलॉटमेंट यूजर के अकाउंट से पैसा डेबिट होने के समय के बजाय म्यूचुअल फंड हाउस के पास पैसा आने के समय पर निर्भर करता है.
चालसानी ने बताया, 'इसलिए, जब भी हमें इससे जुड़ी कोई शिकायत मिलती है और जब लोगों का ऐसे मौके पर प्रतिनिधित्व होता है, तो हम उसे AMCs का पास भेजते हैं. AMCs इस पर काम करती हैं और अगर उन्हें पैसा समय से पहले मिल जाता है, तो वो उसी दिन के NAV को अलॉट करते हैं'.
AMFI के CEO ने पैसे ट्रांसफर होने में देरी का जिक्र किया. वेंकट चालसानी के मुताबिक, 4 जून को इतनी बड़ी मात्रा में ट्रांजैक्शन आ रहे थे कि बैंक और पेमेंट एग्रीगेटर्स इसको सही तरह से मैनेज नहीं कर पाए. ये भी पैसे देर से आने की एक संभावना हो सकती है. लोकसभा चुनाव के दौरान आने वाले नतीजों के चलते ऑर्डर वॉल्यूम में तेजी आई थी.
BSE StAR MF समेत ट्रांजैक्शन से जुड़े सभी संस्थान ने कहा कि भारी मात्रा में म्यूचुअल फंड ऑर्डर्स के चलते तकनीकी समस्या हुई, जिसके लिए वो जिम्मेदार नहीं हैं.
NDTV Profit को दिए इंटरव्यू में DSP म्यूचुअल फंड के MD & CEO कल्पेन पारेख (Kalpen Parekh) ने बताया, 'कई प्राइवेट, पब्लिक और कॉरपोरेट बैंक रियल टाइम ट्रांजैक्शन नहीं करते हैं. मैंने अपनी टीम से इस बारे में पूछा है कि हम इसके लिए भविष्य में क्या कर सकते हैं'.
उन्होंने कहा, 'हमें इसकी जांच करनी चाहिए और पता करना चाहिए कि पूरी प्रक्रिया में बीच में कहां दिक्कत हुई. पैसे पहुंचने में कहां देरी हुई, इन्वेस्टर से लेकर एग्रीगेटर और फिर MF स्कीम अकाउंट में कहां देर लगी, और हम इसे कैसे सुधार सकते हैं'.
जब सभी पार्टियां अपनी जिम्मेदारी मानने से पीछे हट रही हैं, मार्केट रेगुलेटर SEBI और बैंकिंग रेगुलेटर RBI इसमें इन्वेस्टर्स की परेशानी को रिजॉल्व कर सकते हैं. फिलहाल के लिए, अपनी समस्या के निपटारे के लिए इन्वेस्टर्स SEBI के कंप्लेंट रेड्रेसल सिस्टम की वेबसाइट <https://scores.sebi.gov.in/> पर अपनी समस्या भेज सकते हैं.