मार्केट रेगुलेटर SEBI के 625 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ अनिल अंबानी (Anil Ambani) और कई दूसरी संस्थाओं ने SAT में अपील दायर की है. सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल्स (SAT) इस मामलों की सुनवाई 18 अक्टूबर को करेगा.
SEBI ने रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) से फंड डायवर्जन के आरोपों के चलते अनिल अंबानी समेत दूसरी कई एंटिटीज को शेयर मार्केट से पांच साल के लिए बैन कर दिया था. जहां अनिल अंबानी पर पांच साल का प्रतिबंध है, वहीं RHFL पर केवल 6 महीने के लिए बैन लगाया गया है.
222 पन्नों के अंतिम आदेश के अनुसार, SEBI ने पाया कि अनिल अंबानी ने RHFL के प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों की मदद से, कंपनी से फंड्स निकालने के लिए धोखाधड़ी का प्लान बनाया, जिसे उन्होंने अपने से जुड़ी संस्थाओं को लोन के रूप में दर्शाया.
रिपोर्ट से पता चला है कि इन कंपनियों को करोड़ों रुपये के लोन मंजूर किए गए, जबकि उनके पास कोई मजबूत वित्तीय आधार नहीं था. इन कंपनियों के पास कैश फ्लो, नेट वर्थ या रेवेन्यू के नाम पर कुछ भी नहीं था. RHFL का लोन पोर्टफोलियो जो 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपये हुआ करता था, अचानक ही 2018-19 में बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया, जिससे कंपनी की अपनी कर्ज देनदारियां बढ़ गईं.
इसके अलावा, जांच में लोन एप्लीकेशंस में महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक खामियां भी सामने आई हैं. जिनमें अधूरे दस्तावेज और पात्रता भी शक के दायरे में है. इन गड़बड़ियों के बावजूद RHFL की क्रेडिट समितियों ने लोन की मंजूरियां जारी रखीं, जिससे कंपनी के अंदर गवर्नेंस के बारे में और सवाल खड़े हो गए.
SEBI ने जिन 24 लोगों/संस्थाओं पर बैन लगाया है, उनमें रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के पूर्व प्रमुख अधिकारी अमित बापना, रवींद्र सुधालकर और पिंकेश आर शाह शामिल हैं. मार्केट रेगुलेटर ने उनकी भूमिका के लिए जुर्माना भी लगाया है. मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये, बापना पर 27 करोड़ रुपये, सुधालकर पर 26 करोड़ रुपये और शाह पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.