रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से बैंकों के अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loans) पर रिस्क वेटेज बढ़ाने के फैसले का असर आज बैंकों और NBFCs के शेयरों पर दिख रहा है. बैंकिंग शेयर गिरावट के साथ खुले और वक्त के साथ ये गिरावट बढ़ती भी रही. सुबह 10:40 बजे तक SBI (-2.90%), IDFC फर्स्ट बैंक (-3.34%), पंजाब नेशनल बैंक (-2.50%), एक्सिस बैंक (-2.85%) बड़ी गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे थे.
दरअसल RBI ने गुरुवार को बैंकों और NBFCs के बेतहाशा बढ़ते कंज्यूमर लोन, जिसमें पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन शामिल हैं, इस पर लगाम कसने के लिए इन लोन पर रिस्क वेटेज बढ़ा दिया. इसका मतलब ये हुआ कि बैंकों को अब ऐसे लोन के लिए ज्यादा प्रॉविजनिंग करनी होगी, ताकि इन अनसिक्योर्ड लोन के डिफॉल्ट होने के जोखिम का असर बैंक के डिपॉजिटर्स पर नहीं पड़े.
इसका असर बैंकों पर ये होगा कि उनके पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसे नहीं होंगे, वो ज्यादा से ज्यादा कंज्यूमर्स को लोन नहीं दे सकेंगे, साथ ही उन्हें मौजूदा लोन के लिए भी रिस्क कवर बढ़ाना होगा. मार्केट एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बैंकिंग और NBFCs शेयरों पर इसका निगेटिव असर देखने को मिल सकता है और बैंक निफ्टी पर भी असर हो सकता है.
रिजर्व बैंक के इस कदम पर एक्सपर्ट्स की अलग अलग राय है.
आदित्य शाह, JST इन्वेस्टमेंट्स
'इसका मतलब ये हुआ कि रिजर्व बैंक कह रहा है अनसिक्योर्ड लोन ज्यादा जोखिम भरे हैं. लोन देते समय बैंकों को हर बार जो पूंजी अलग रखनी होगी अब वो ज्यादा है. ये सभी जोखिम लेने वाले NBFCs और बैंकों के लिए निगेटिव है. जबकि जोखिम से दूर रहने वाले NBFCs और बैंकों के लिए पॉजिटिव है. RBI को इस कदम के लिए बधाई'
कैपिटल माइंड्स के दीपक शेनॉय X पर इसको समझाते हुए लिखते हैं कि अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन के लिए 20% कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो (CAR) का मतलब हुआ कि हर 20 रुपये की रखी पूंजी पर बैंक 100 रुपये का लोन दे सकता है. अब रेगुलेटर के नए नियमों के बाद 100 रुपये को 125 रुपये गिना जाएगा, क्योंकि रिस्क वेटेज बढ़ गया है, जिससे बैंक का कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो (CAR) गिरकर 16% हो जाएगा.
आशुतोष मिश्रा, हेड, इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिसर्च, आशिका ग्रुप
'क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर लोन सेगमेंट्स पर रिस्क वेटेज बढ़ाने का रिजर्व बैंक का ये फैसला बड़े प्राइवेट बैंकों के लिए थोड़ा निगेटिव है और इससे पूंजी खपत में तेजी आने का अनुमान है. इसके साथ ही, इस फैसले से बैंकों के इन लोन सेगमेंट्स से जुड़े जोखिमों में बढ़ोतरी को लेकर चर्चा में इजाफा होने का अनुमान है.'
आशुतोष मिश्रा कहता है कि इस फैसले के लंबी अवधि में फायदे हैं, ये बैंकों के बोर्ड्स को इन सेगमेंट्स में अपनी ग्रोथ रणनीति पर दोबारा से विचार करने पर मजबूर करेगा.