मार्केट रेगुलेटर SEBI ने BSE को ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के नोशनल वैल्यू से कैलकुलेट किए गए सालाना टर्नओवर के आधार पर रेगुलेटर फीस का भुगतान करने का आदेश जारी किया है. 26 अप्रैल को SEBI ने ये चिट्ठी BSE को भेजी थी.
अब BSE ने अपने आंकलन के बाद ये सुनिश्चित किया है कि उसे मार्केट रेगुलेटर के आदेश का पालन करते हुए रेगुलेटरी फीस और ब्याज के साथ 165 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. इस खबर का BSE लिमिटेड के शेयरों पर असर दिखा है, ये शेयर शुरुआत में ही 19% तक टूटा गया, और 2,612.10 के निचले स्तर तक पहुंच गया.
अपनी चिट्ठी में मार्केट रेगुलेटर SEBI ने कहा है कि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की शुरुआत के बाद से ही BSE सालाना टर्नओवर पर रेगुलेटरी फीस का भुगतान कर रही है, जो कि नोशनल वैल्यू की बजाय ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए प्रीमियम वैल्यू पर है.
BSE ने रविवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि FY 2006-2023 के लिए SEBI की कुल रेगुलेटरी फीस 68.64 करोड़ रुपये + GST अलग से होगी. इसमें 30.34 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है. इसके अलावा, FY 2023-24 के लिए डिफरेंशियल रेगुलेटरी फीस अगर कोई है, तो करीब 96.30 करोड़ रुपये + GST हो सकता है.
BSE ने 28 अप्रैल को एक बयान में कहा, कंपनी फिलहाल मार्केट रेगुलेटर की चिट्ठी और उसमें किए गए दावे की वैधता का मूल्यांकन कर रही है. स्टॉक एक्सचेंजों को संबंधित वित्त वर्ष के खत्म होने के 30 दिनों की अवधि के भीतर रेगुलेटरी फीस का पेमेंट करना होता है.
कुल देय फीस 164.9 करोड़ रुपये है, दिसंबर तिमाही के लिए स्टॉक एक्सचेंज का प्रॉफिट बिफोर टैक्स (PBT) 143.37 करोड़ रुपये था. FY2023 के लिए BSE का PBT 297 करोड़ रुपये था.