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'ट्रंप टैरिफ भारत के लिए फायदा का सौदा', RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने समझाया कैसे

राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल से देशों पर "रेसिप्रोकल टैरिफ " लगाने की धमकी दी है, जो अमेरिका में इंपोर्टेड सामानों पर टैक्स को उस स्तर तक बढ़ा देगा जो ट्रेड पार्टनर्स अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी09:40 AM IST, 10 Mar 2025NDTV Profit हिंदी
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों से पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है, लेकिन ये भारत के लिए उतनी बुरी खबर नहीं है, क्योंकि इससे भारत सरकार कारोबारी बाधाओं को कम करने के लिए प्रेरित हो रही है, इससे कंपिटीशन और विकास को बढ़ावा मिलेगा. ये कहना है रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का. उनका कहना है कि ज्यादा प्रतिस्पर्धा का मतलब है कि भारतीय कंपनियों को ग्लोबल प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने के लिए अपने स्टैंडर्ड को को बढाना होगा. इससे हाई क्वालिटी वाली नौकरियां पैदा होंगी और बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग का आधार भी बढ़ेगा.

'ओवरऑल इकोनॉमी को फायदा होगा'

विरल आचार्य, जो 2017 से 2019 तक रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर रहे थे, उनका कहना है कि संरक्षणवादी कदमों से फायदा उठाने वाली बड़ी भारतीय कंपनियों को शुरुआत में कुछ नुकसान होगा, लेकिन ओवरऑल देखें तो इकोनॉमी को इससे फायदा होगा. उन्होंने कहा, "प्रतिस्पर्धी बाजार में कंपनियों को मोटा मुनाफा नहीं कमाना चाहिए, जबतक कि वो उस सेवा या सामान के सबसे कुशल प्रदाता न हों'.

उनका कहना है कि भारतीय बिजनेस, सिर्फ बड़ी कंपनियां ही नहीं, वैश्विक स्तर की सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं, लेकिन इसके लिए दक्षता और उत्पादकता में निवेश की आवश्यकता होगी'. आचार्य ने कहा, जब तक हम उन्हें इस प्रतिस्पर्धा में नहीं डालेंगे, तब तक हम उनका सर्वश्रेष्ठ नहीं देख पाएंगे.'

2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल से देशों पर "रेसिप्रोकल टैरिफ " लगाने की धमकी दी है, जो अमेरिका में इंपोर्टेड सामानों पर टैक्स को उस स्तर तक बढ़ा देगा जो ट्रेड पार्टनर्स अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि दोनों देशों के बीच औसत इंपोर्ट ड्यूटी में करीब 10 परसेंटेज प्वाइंट के अंतर के कारण भारत रेसिप्रोकल टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में से एक होगा.

भारत सरकार ने पहले ही इंपोर्ट ड्यूटी कम करने के कदम उठाए हैं, फरवरी में इसमें बड़ी कटौती की गई थी और अमेरिकी सामानों जैसे कारों, केमिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने पर चर्चा हो रही है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल पिछले हफ्ते अमेरिका में मल्टी सेक्टर ट्रेड डील पर अपने अमेरिकी समकक्ष हॉवर्ड लटनिक और अन्य ट्रंप अधिकारियों से बातचीत करने गए थे. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि भारत इंपोर्ट ड्यूटी में और बड़ी कटौती करने के लिए तैयार है.

'कंपनियां दबाव में इनोवेशन करने में सक्षम'

आचार्य, जो वर्तमान में NYU स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में डॉक्टरल शिक्षा के डायरेक्टर हैं. एक इंटरव्यू में आचार्य ने कहा, भारतीय कंपनियां दबाव में इनोवेशन करने में सक्षम हैं और इसके बाद वे अपनी पुरानी ताकत वापस पा लेंगी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने से सीधी टक्कर के अलावा 'विदेशी खिलाड़ियों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनने पर नॉलेज ट्रांसफर भी हो सकता है. इस प्रक्रिया से कुछ वैश्विक दिग्गज उभरेंगे.'

भारतीय उद्योगों पर प्रभाव को कम करने के लिए आचार्य ने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट संचार के साथ चरणबद्ध तरीके से इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का सुझाव दिया. अगर नीति के रास्ते का अंदाजा पहले से ही है, तो बिजनेस दक्षता, इनोवेशन और कर्मचारियों के स्किल डेवलपमेंट में निवेश करेंगे.

विरल आचार्य ने कहा कि हालांकि सरकारें अपने घरेलू उद्योगों और कर्मचारियों का सपोर्ट करने के लिए संरक्षणवादी उपायों का उपयोग करती हैं, लेकिन बिजनेस की बाधाएं हटने से नौकरियों को नुकसान होगा, इसे लेकर कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा, "1990 के दशक में जब हमने अर्थव्यवस्था खोली थी, तब नौकरियां के खत्म होने का कोई सबूत नहीं मिला. ये 1990 या 2000 के दशक में सच नहीं था.'

इसके बजाय, ज्यादा कंपिटीशन प्राइवेट कैपेक्स और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाएगी और विकास को रफ्तार देगी, इससे हाई स्किल्ड नौकरियां पैदा होंगी और घरेलू खपत बढ़ेगी. आचार्य ने कहा, "यही वो परिवर्तनकारी बदलाव है जिसकी भारत को इस समय जरूरत है, ये 1990 और 2000 के दशक में हमारे लिए काम कर चुके मॉडल का ही एक रूप है'.

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