ADVERTISEMENT

दिसंबर तिमाही में FPIs का वैल्यूएशन बढ़कर $738 बिलियन हुआ

FPI इन्वेस्टमेंट पर नजर डालें, तो दिसंबर 2022 की तिमाही में $584 बिलियन के मुकाबले इस साल 26% का उछाल दिखा.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:49 PM IST, 14 Feb 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

दिसंबर तिमाही में भारतीय शेयर बाजार ने हर दूसरे दिन नए रिकॉर्ड बनाए. इस तेजी में विदेशी निवेशकों का भी बहुत फायदा हुआ. मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी तिमाही में विदेशी निवेशकों का वैल्यूएशन 13% QoQ बढ़कर $738 बिलियन पर पहुंच गया है.

मौजूदा सितंबर तिमाही तक FPI का कुल वैल्यूएशन $651 बिलियन का रहा था.

FPI इन्वेस्टमेंट पर नजर डालें, तो दिसंबर 2022 की तिमाही में $584 बिलियन के मुकाबले इस साल 26% का उछाल दिखा.

रिपोर्ट के मुताबिक, 'वैल्यूएशन की इस तेजी की वजह घरेलू बाजार की तेजी और FPI का बढ़ता निवेश रहा है'.

हालांकि भारतीय शेयर बाजार के ओवरऑल मार्केट कैप में FPIs का निवेश 16.95% से घटकर 16.83% पर आ गया.

सितंबर तिमाही में $5.38 बिलियन निकालने के बाद, अमेरिका में ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के चलते विदेशी निवेशकों ने दिसंबर तिमाही में $6.07 बिलियन का निवेश किया. तमाम IPOs के आने और क्रूड की कीमतों में कटौती के चलते विदेशी निवेशकों ने भारत में अपना निवेश बढ़ाया है.

रिपोर्ट का कहना है, '3 बड़े राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक स्थिरता भी निवेशकों के लिए एक सुकून भरी खबर रही. इसके साथ ही, भारत की इकोनॉमी की मजबूत परफॉर्मेंस और दूसरी इकोनॉमी से निवेशकों का कम होता रुझान भी बड़ी वजहों में एक रहा'.

हालांकि, शेयर बाजार में FPIs का निवेश बहुत समय तक जारी नहीं रह सका. बीते जनवरी महीने में ही विदेशी निवेशकों ने मुनाफावसूली के नाम पर $3.10 बिलियन की रकम बाहर खींच ली. फरवरी में भी इसका अंदेशा नजर आ रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 'जनवरी में भारतीय शेयर बाजार ने रिकॉर्ड हाई बनाया, जिसके बाद विदेशी निवेशक मुनाफावसूली की तरफ बढ़े. इसके साथ ही, ब्याज दरों में अस्थिरता भी विदेशी निवेशकों के लिए ठहरकर देखने की वजह बनी कि आगे आने वाले अंदेशों के आधार पर भारत या इसके जैसे दूसरे शेयर बाजारों में निवेश किया जाए. HDFC बैंक में अनुमान से कमजोर तिमाही नतीजे भी FPIs की बिकवाली की एक बड़ी वजह रही'.

इसके अलावा, मध्य पूर्व में जियोपॉलिटिकल अस्थिरता, US फेड का ब्याज दरों पर बयान, US ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में तेजी भी FPIs के इमर्जिंग मार्केट्स से भागने का एक बड़ा कारण रही.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT