जनवरी में विदेशी निवेशकों FPIs/FIIs (Foreign Investors) ने जमकर बिकवाली की. ऐसा अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स में बढ़ोतरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) की ओर से ब्याज दर में कटौती की घटती उम्मीदों की वजह से हुआ. इस बीच जियोपॉलिटिकल यानी भू-राजनीतिक तनाव भी बढ़े हैं. और बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद निवेशक संभलकर चल रहे हैं.
इनफ्लो में दिसंबर 2023 के मुकाबले जनवरी में गिरावट आई है. दिसंबर में विदेशी निवेशकों ने 66,135 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया था. ओवरसीज इंस्टीट्यूशनल निवेशकों ने जनवरी में 3,096 मिलियन डॉलर या 25,744 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. NSDL यानी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के मुताबिक ये मौजूदा कारोबारी साल में सबसे ज्यादा आउटफ्लो है.
विदेशी निवेशकों ने पिछले दो साल जनवरी के महीने में शेयरों की बिकवाली की. पिछले साल जनवरी में FPI ने 28,852 करोड़ रुपये विद्ड्रॉ किए थे. 2022 में ये समान ट्रेंड देखने को मिला था. उस समय FPIs ने शेयर बाजार से 33,303 करोड़ रुपये निकाले थे.
विदेशी निवेशकों ने जनवरी में किसी अन्य उभरते बाजार के मुकाबले ज्यादा शेयर बेचे थे. ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक भारत में महीने के दौरान 3.14 बिलियन डॉलर का आउटफ्लो हुआ. डेटा में दिखा कि उभरते बाजारों के बीच भारत में पिछले साल सबसे ज्यादा FPI इनफ्लो आया. जबकि FPIs ने थाइलैंड, फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम में बिकवाली की.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि FPIs कैश बाजार में बिकवाली करते रहे हैं. वो ऑटो, मीडिया और एंटरटेनमेंट में बिकवाली की. थोड़ी बिकवाली IT में भी देखी गई. उनके मुताबिक ऑयल एंड गैस, पावर और फाइनेंशियल सर्विसेज में खरीदारी देखने को मिली है.