Go First NCLT Hearing: गो फर्स्ट (Go First) की दिवालिया याचिका (Insolvency plea) पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में आज सुनवाई हुई. जिसमें दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के बाद NCLT ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
मंगलवार को गो फर्स्ट ने वित्तीय संकट गहराने के बाद NCLT में दिवालिया याचिका दाखिल की थी.
गो एयर (Go Air) की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे वकील नीरज किशन कौल ने NCLT के सामने ये भरोसा जताया कि गो फर्स्ट एयरलाइन इस मुश्किल घड़ी से निकल जाएगी यानी गो फर्स्ट का रिवाइवल होगा, जो कि एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक अच्छी खबर होगी. कौल ने NCLT को ये भी आश्वासन दिया कि एयरलाइन की अभी 26 एयरक्राफ्ट के ऑपरेशंस के लिए वो अपने कर्मचारियों को सैलरी भी देगी.
कौल ने कहा कि 'अगर अंतरिम मोरेटोरियम नहीं दिया गया तो एयरक्राफ्ट्स कर्जदाताओं द्वारा सीज कर लिए जाएंगे और ये कदम एयरलाइन को काफी नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने कहा कि 'उनके पास इकलौता असेट एयरक्राफ्ट्स हैं. इस स्थिति में अभी किसी आपत्तिकर्ता की कोई जगह नहीं है. याचिका IBC के तहत सभी प्रोसीजरल और दूसरी जरूरतों को पूरा करती है. कौल ने कहा कि 'किसी भी दुर्भावनापूर्ण इरादों को लेकर बाद में आपत्ति जताई सकती है.'
एयरलाइन के पट्टेदारों (Lessors) की ओर से बहस करने उतरने सीनियर एडवोकेट अरुण कठपालिया ने अंतरिम मोरटोरियम का विरोध किया, उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत यहां लागू नहीं होता है. कठपालिया ने कहा कि ऐसे कदम से थर्ड पार्टीज जो कि कोर्ट में मौजूद नहीं हैं, एयरलाइन के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से रोक देंगे.
कौल ने तर्क दिया कि 'गो फर्स्ट ने क्रेडिटर्स को किसी भी तरह का पेमेंट डिफॉल्ट नहीं किया है, सिर्फ 11.3 करोड़ रुपये को छोड़कर. जो 26 एयरक्राफ्ट काम कर रहे हैं, वो अभी एयरलाइन के लिए चलाए जा सकते हैं.' कौल ने कहा कि 'अगर याचिका को दूसरी सुनवाई के लिए टालना है, तो मैं एक अंतरिम आदेश मांग करता हूं.'
VIDEO: गो फर्स्ट के सामने अब क्या विकल्प?