डॉलर के मुकाबले रुपये में एक बार फिर रिकॉर्ड कमजोरी दर्ज हुई है. रुपया सोमवार को 53 पैसे की कमजोरी के साथ 87.95 के स्तर रिकॉर्ड निचले स्तर तक फिसल गया. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वो स्टील और एल्युमीनियम के इंपोर्ट पर 25% का टैरिफ लगाएंगे, इसने डॉलर में नई जान फूंक दी जिससे डॉलर इंडेक्स एक बार फिर 108 के पार निकल गया, जिसका दबाव रुपये पर भी पड़ा है.
फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम से चीन के बदले की भावना से टैरिफ लागू होने से ग्लोबल ट्रेड वॉर को लेकर घबराहट बढ़ गई है. इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज में रुपया 87.94 पर खुला और शुरुआती ट्रेड में डॉलर के मुकाबले 87.95 के अपने सबसे निचले स्तर तक फिसल गया. रुपया शुक्रवार को 9 पैसे की कमजोरी के साथ 87.50 पर बंद हुआ था.
इस गिरावट के साथ ही, रुपया अब इस साल की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी हो गई है. इस साल रुपया अबतक 2.6% तक टूट चुका है. रुपया अब 88 के निचले स्तर से सिर्फ 5 पैसे ही दूर है.
फिनरेक्स ट्रेजरी के हेड ऑफ रिसर्च और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली का कहना है कि रिजर्व बैंक ने ग्रोथ की रफ्तार को बढ़ाने के लिए रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी और अप्रैल में भी एक और 25 बेसिस प्वाइंट कटौती की उम्मीद है, इसलिए रुपये का गिरावट के साथ खुलना अनुमान के मुताबिक ही है. भंसाली ने कहा कि रुपया 88 का स्तर फरवरी में ही तोड़ देगा.
रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि बाजार की ताकतें अमेरिकी डॉलर के संबंध में रुपये का मूल्य तय करती हैं और केंद्रीय बैंक करेंसी के हर रोज के उतार चढ़ाव को लेकर चिंतित नहीं है. रिजर्व बैंक बोर्ड के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक मध्यम से लंबी अवधि में रुपये के मूल्य पर ध्यान केंद्रित करता है.