नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टेड कंपनियों में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) कंपनियों की हिस्सेदारी मार्च, 2024 को खत्म हुई तिमाही में अबतक के रिकॉर्ड लेवल 8.92% पर पहुंच गई.
इस दौरान नेट इनफ्लो 81,539 करोड़ रुपये रहा. दिसंबर, 2023 को खत्म तिमाही में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 8.81% थी.
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, कैपिटल मार्केट डेटा जारी करने वाली प्राइम डेटाबेस ग्रुप की यूनिट प्राइमइनफोबेस (www.primeinfobase.com) की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है.
सबसे बड़े डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर LIC की हिस्सेदारी मार्च, 2024 तक बढ़कर 3.75% हो गई, जो दिसंबर, 2023 तक 3.64% थी.
घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की हिस्सेदारी मार्च तिमाही में बढ़कर 16.05% हो गई, जो इससे पिछली तिमाही में 15.96% थी. 1.08 लाख करोड़ रुपये के भारी इनफ्लो के चलते ये बढ़ोतरी हुई.
दूसरी ओर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की हिस्सेदारी मार्च, 2024 के डेटा के अनुसार, घटकर 11 साल के निचले स्तर 17.68% पर आ गई, जो दिसंबर, 2023 में 18.19% थी. इससे FPI और DII हिस्सेदारी के बीच अंतर बढ़ा है.
DII हिस्सेदारी अब FPI हिस्सेदारी से केवल 9.23% कम रह गई है. इसके साथ ये अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.
भारतीय बाजार 'आत्मनिर्भरता' (Self-Reliance) की ओर बढ़ रहा है और अगली कुछ तिमाहियों में DII की हिस्सेदारी FPI से आगे निकल जाएगी.प्रणव हल्दिया, MD, प्राइम डाटाबेस ग्रुप
ये एनालिसिस मार्च, 2024 को खत्म तिमाही के लिए NSE पर लिस्टेड कुल 1,989 कंपनियों में से 1,956 की तरफ से दिये गए शेयरहोल्डिंग ब्योरे पर आधारित है. 22 अप्रैल तक, 33 कंपनियों को अपना शेयरहोल्डिंग डेटा दाखिल करना था.