मार्केट रेगुलेटर SEBI की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमिटी जल्द ही रिटेल F&O (फ्यूचर्स और ऑप्शंस) ट्रेडर्स के लिए सूटेबिलिटी टेस्ट लागू करने पर विचार कर सकता है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV Profit को बताया है कि अभी ये कमिटी के एजेंडे में है. भले ही प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया है, लेकिन जल्द चर्चा होने की संभावना है.
इस सूटेबिलिटी टेस्ट का मकसद ये जांचना होगा कि ट्रेडर्स के पास पर्याप्त पूंजी और जोखिम की जानकारी है या नहीं. इसके अलावा, हो सकता है कि ट्रेडर्स को F&O ट्रेडिंग करने के लिए एक परीक्षा पास करनी पड़े, जिसे ब्रोकरेज कंपनियां मॉनिटर करेंगी.
अक्टूबर 2024 में SEBI ने F&O ट्रेडिंग के नए नियम लागू किए, जिससे डेरिवेटिव ट्रेडिंग वॉल्यूम में गिरावट आई और एक्सचेंजो, ब्रोकर्स के रेवेन्यू पर असर पड़ा. छोटे निवेशकों को बड़े नुकसान से बचाने के लिए SEBI ने कुछ कड़े नियम बनाए, जैसे:
हर एक्सचेंज पर हफ्ते में सिर्फ एक ऑप्शन एक्सपायरी
ऑप्शन बॉयर्स को पहले से प्रीमियम का भुगतान करना जरूरी
इंट्राडे पोजीशन की कम से कम 4 बार निगरानी
और लिमिट पार करने पर तुरंत पेनल्टी
इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू ₹15 लाख कर दी गई है, जिससे केवल सक्षम निवेशक ही इसमें भाग ले सकें. SEBI ने 25 फरवरी 2025 को 'फ्यूचर इक्विवेलेंट' मेथड से ओपन इंटरेस्ट (OI) कैलकुलेशन का सुझाव दिया है, जिससे स्टॉक्स को बैन जोन में जाने से रोका जा सके.
SEBI ने नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए भी कड़े नियमों का प्रस्ताव दिया है. अब किसी भी सेक्टोरल या थीमैटिक इंडेक्स में:
कम से कम 14 स्टॉक्स होने चाहिए
कोई भी स्टॉक 20% से ज्यादा वेटेज नहीं रख सकता
टॉप 3 स्टॉक्स का ज्वाइंट वेटेज 45% से ज्यादा नहीं हो सकता
SEBI का मानना है कि इन बदलावों से छोटे निवेशकों को फायदा होगा, क्योंकि इससे स्टॉक्स के बार-बार बैन में जाने की समस्या कम होगी और उनका ट्रेडिंग एक्सपीरियंस सरल बनेगा.