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भारतीय बाजारों के लिए बेहद खराब ग्लोबल संकेत, ये शेयर नजर में रहेंगे

GIFT निफ्टी में 350 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ कारोबार हो रहा है, फिलहाल ये 24,380 के स्तर पर ट्रेड करता दिख रहा है, जापान का बाजार निक्केई 2,000 अंकों से ज्यादा टूट चुका है
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी08:17 AM IST, 05 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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भारतीय बाजारों के लिए सोमवार की सुबह ग्लोबल मार्केट्स के संकेत बेहद खराब है. पूरे ग्लोबल मार्केट्स में जैसे कोहराम मचा हुआ है. पिछले हफ्ते से ही मंदी की आशंका से अमेरिकी बाजार लुढ़कते जा रहे हैं. आज सुबह डाओ फ्यूचर्स में 0.75% और नैस्डेक फ्यूचर्स 2.5% की बड़ी गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं.

एशियाई बाजारों का भी बुरा हाल है, इसमें भी जापान का बाजार निक्केई तकनीकी रूप से Bear मार्केट में जा चुका है. अमेरिका की 10 साल की बॉन्ड यील्ड 4% के नीचे फिसल गई है, यानी ये इस बात का इशारा है कि आने वाले समय में ब्याज दरें कम नहीं हुईं तो ये गिरावट और बढ़ेगी. ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद कच्चा तेल कमजोर है.

FPIs, DIIs

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शुक्रवार को 3,310 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,965.9 करोड़ रुपये की खरीदारी की, इसके ठीक एक सेशन पहले घरेलू निवेशकों ने बिकवाली की थी.

अमेरिकी बाजारों का हाल

अमेरिकी बाजार अब ब्याज दरों में कटौती को लेकर सितंबर तक का इंतजार करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. अमेरिकी बाजारों में पिछले हफ्ते जो मारकाट शुरू हुई, वो इस हफ्ते भी जारी है. शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में डाओ जोंस 611 अंकों (-1.51%) की भारी भरकम गिरावट के साथ बंद हुआ, नैस्डेक में 418 (-2.43%) अंकों की तेज गिरावट रही और S&P 500 भी 100 अंकों से ज्यादा टूटकर बंद हुआ. शुक्रवार को अमेरिका का VIX 25% तक उछला था.

क्यों टूट रहे हैं अमेरिकी बाजार?

अमेरिकी बाजारों में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कुछ वजहें हैं-

1- अमेरिका के बेरोजगार के आंकड़े उम्मीद से बेहद खराब है, जुलाई में ये 4.3% रही है. जो कि 3 साल की सबसे ऊंची बेरोजगारी दर है. अमेरिका में लगातार चौथे महीने बेरोजगारी दर बढ़ी है, जून में बेरोजगारी दर 4.1% रही थी, अनुमान यही था कि बेरोजगारी दर जुलाई में नहीं बढ़ेगी.

दूसरी तरफ, नई नौकरियां भी उम्मीद से कम पैदा हुई हैं, उम्मीद थी कि इस बार 1.84 लाख नौकरियां बनेंगी, लेकिन बनी सिर्फ 1.14 लाख. यानी अमेरिका में नौकरियां नहीं हैं. अब बाजार को ये लगता है कि अमेरिका मंदी की चपेट में आ रहा है, इसलिए फेड को जुलाई में ब्याज दरों में कटौती कर देनी चाहिए थी, सिंतबर तक काफी देर हो जाएगी.

कई एनालिस्ट्स ये मान रहे हैं कि अगर बाजार को संभालना है तो इस साल कम से कम 0.75% का रेट कट आना चाहिए.

2- जापान ने 0.25% ब्याज दर बढ़ाकर आग में घी डालने का काम किया, इससे सेंटीमेंट्स बुरी तरह हिल चुके हैं. एनालिस्ट्स मान रहे हैं कि जापान ने ब्याज दरें बढ़ाने में थोड़ी जल्दबाजी कर दी है. जापान का बाजार निक्केई अब तकनीकी रूप से Baer मार्केट में आ चुका है. 11 जुलाई को निक्केई ने नया हाई बनाया था, वहां से ये अबतक 20% टूट चुका है. इसकी वजह से पूरे एशिया पर दबाव देखने को मिल रहा है.

3- मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से भी बाजार पर असर पड़ा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान इस हफ्ते तक इजरायल पर कोई बड़ा हमला कर सकता है. इसलिए जियो-पॉलिटिकल रिस्क बढ़ने से भी माहौल काफी बिगड़ चुके हैं.

एशियाई बाजारों का हाल

GIFT निफ्टी में 350 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ कारोबार हो रहा है, फिलहाल ये 24,380 के स्तर पर ट्रेड करता दिख रहा है, जापान का बाजार निक्केई 2,000 अंकों से ज्यादा टूट चुका है, यानी करीब 6% नीचे है. चीन का बाजार शंघाई कंपोजिट आधा परसेंट नीचे है, हॉन्ग कॉन्ग का बाजार हैंग सेंग 1% नीचे है, कोरिया का बाजार कोस्पी 4.8% तक टूटा हुआ दिख रहा है.

कच्चा तेल, सोना चांदी

मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने के बावजूद कच्चा तेल उस हिसाब से तेजी नहीं दिखा रहा है, बल्कि पिछले हफ्ते बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 8 महीने के निचले स्तर तक फिसल गया था, आज सुबह ब्रेंट क्रूड मामूली सी बढ़त के साथ 76.93 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है, WTI क्रूड भी 76.39 डॉलर प्रति बैरल पर है. सोने का दिसंबर वायदा 10 डॉलर की मजबूती के साथ 2,480 डॉलर प्रति आउंस के इर्द-गिर्द घूम रहा है, चांदी का सितंबर वायदा 28.50 डॉलर प्रति आउंस पर स्थिर है.

खबरों में शेयर

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