निफ्टी बैंक की वीकली एक्सपायरी (Nifty Bank Last Weekly Expiry) का सफर आज से खत्म हो रहा है. देश के इस सबसे बड़े, F&O ट्रेडर्स के सबसे चहेते, पॉपुलर ऑप्शंस ट्रेड के लिए आज आखिरी वीकली एक्सपायरी है.
ये मार्केट रेगुलेटर SEBI के पिछले महीने आए उस आदेश का असर है, जिसमें मार्केट रेगुलेटर ने देश के दोनों बड़े एक्सचेंज BSE, NSE से कहा था कि वो हफ्ते में सिर्फ एक ही डेरिवेटिव की एक्सपायरी दें.
इसके बाद BSE ने वीकली एक्सपायरी के लिए सेंसेक्स को चुना और NSE ने निफ्टी को चुना, जबकि पॉपुलैरिटी के हिसाब से निफ्टी बैंक ट्रेडर्स की पसंद मानी जाती है. BSE ने वीकली एक्सपायरी के लिए सेंसेक्स को चुना है, यानी बैंकेक्स की वीकली एक्सपायरी बंद हो जाएगी.
NSE के पास चार इंडेक्स डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स हैं. निफ्टी, निफ्टी बैंक, मिडकैप निफ्टी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज. इसमें निफ्टी मिडैकप सेलेक्ट की आखिरी वीकली एक्सपयारी 18 नवंबर को होगी, जबकि निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज की आखिरी वीकली एक्सपायरी 19 नवंबर को होगी. हालांकि निफ्टी बैंक समेत इन दोनों इंडेक्स की मंथली एक्सपायरी पहले की तरह जारी रहेगी.
NDTV Profit के कैलकुलेशंस के मुताबिक रेगुलेटर की ओर से लागू नियमों से लो-वॉल्यूम रिटेल ट्रेडर्स के निकलने से 30-35% तक गिरावट आ सकती है. कैलकुलेशन से पता चलता है कि वीकली इंडेक्स डेरिवेटिव एक्सपायरी से NSE में F&O वॉल्यूम पर 60% तक असर पड़ सकता है.
जेफरीज का अनुमान है कि इंडेक्स ऑप्शंस में अभी 8 बिलियन डॉलर या 68,000 करोड़ रुपये का एवरेज डेली ट्रेड होता है, नए नियम से वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स की सप्लाई खत्म हो जाएगी, जो कि कुल प्रीमियम का 35% होगी. IIFL सिक्योरिटीज का कहना है कि NSE के ऑप्शन प्रीमियम टर्नओवर पर 40% का असर पड़ेगा जबकि BSE को 20% का झटका लगेगा.
IIFL रिसर्च के मुताबिक - डेरिवेटिव मार्केट में प्रीमियम टर्नओवर के मामले में FY25 के पहले हाफ में निफ्टी बैंक की हिस्सेदारी 38% रही थी, जबकि निफ्टी 28% हिस्सेदारी के साथ दूसरे नंबर पर था. इसके बाद सेंसेक्स 7% और बैंकेक्स 3% पर.
SEBI ने अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में नए फ्रेमवर्क की फेहरिस्त जारी की थी. इसके मुताबिक, एक्सचेंजेज के लिए इंट्राडे पोजीशंस की दिन में कम से कम चार बार निगरानी करना भी अनिवार्य होगा. इंट्राडे लिमिट का उल्लंघन होने पर जुर्माना लगाया जाएगा, जैसा ट्रेडिंग डे के आखिर में लगाया जाता है. हाल के कदमों के तहत बायर्स को सीधे प्रीमियम का भी भुगतान करना होगा.
इसके अलावा इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. इस कदम का मकसद ट्रेडिंग स्टैंडर्ड्स और क्षमता को बढ़ाना है. सर्कुलर के तहत एक्सपायरिंग कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए एक्सपायरी के दिन पर कैलेंडर स्प्रेड बेनेफिट्स को भी खत्म कर दिया गया है. ये ट्रेडिंग में एक बड़ा बदलाव है.
SEBI के ये बदलाव रिटेल निवेशकों को वायदा कारोबार से जुड़े खतरों से दूर रखने के लिए लाए गए हैं. SEBI की पिछले महीने जारी स्टडी में सामने आया था कि 10 में से 9 इंडीविजुअल ट्रेडर्स को मार्च 2024 में खत्म होने वाले तीन साल के दौरान फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में घाटा हुआ है. स्टडी के मुताबिक कुल घाटा 1.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.
स्टडी में सामने आया है कि इंडीविजुअल ट्रेडर्स को औसतन 2 लाख रुपये प्रति का नुकसान हुआ. घाटे वाले टॉप 3.5% या करीब 4,00,000 ट्रेडर्स को औसत 28 लाख रुपये का घाटा हुआ.
स्टडी में ये भी सामने आया है कि F&O सेगमेंट में 30 साल से कम उम्र के ट्रेडर्स का प्रतिशत FY23 के 31% से बढ़कर FY24 में 43% पर पहुंच गया है.