भारतीय बाजार (Indian Share Market) की तेजी पर ग्लोबल फंड्स की बिकवाली का असर पड़ा. घरेलू इंस्टीट्यूशंस (DIIs) ने हर गिरावट पर खरीदारी की है. इससे शेयर बाजार में जो भारी गिरावट आ सकती थी, वो रुक गई. विदेशी फंड्स का घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली चीन में रिवाइवल की उम्मीदों से शुरू हुई थी. हालांकि चीन की स्थिति अब और बिगड़ गई है.
इसके अलावा विदेशी निवेशकों (FIIs) की बिकवाली बढ़ने का एक और कारण है. भारतीय कंपनियों के शेयरों की वैल्युएशन को लेकर चिंता बढ़ रही है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के प्रोविजनल डेटा के मुताबिक पिछले 14 कारोबारी दिनों में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने 85,700 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयरों की बिकवाली की है.
हालांकि घरेलू इंस्टीट्यूशंस किसी भी बिकवाली से दूर रहे हैं. समान अवधि में घरेलू निवेशकों ने करीब 82,500 करोड़ रुपये की खरीदारी की है. इससे स्थानीय इंस्टीट्यूशंस की ओर से घरेलू शेयरों में कुल इनफ्लो इस साल में अब तक 4 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. 2023 में पूरे साल कुल इनफ्लो 1.73 लाख करोड़ रुपये रहा था.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि फॉरेन इंस्टीट्यूशंस की ओर से भारी बिकवाली का बाजार पर कोई गंभीर असर नहीं हुआ क्योंकि पूरी बिकवाली के असर को DIIs ने खत्म कर दिया. उनके मुताबिक छोटी अवधि में FIIs की बिकवाली और DIIs की खरीदारी का ट्रेंड बरकरार रहने की उम्मीद है.
अर्थव्यवस्था में सुस्ती से जुड़ी चिंताएं तब आनी शुरू हुईं जब टैक्स कलेक्शन में गिरावट आई. सितंबर में GST कलेक्शन ग्रोथ 6.5% पर पहुंच गई. ये 40 महीने का निचला स्तर था. आठ कोर सेक्टर्स की आउटपुट ग्रोथ में गिरावट आई है.
इसके अलावा देश में रिटेल महंगाई 5.49% के साथ नौ महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है. इससे भारतीय रिजर्व बैंक के दरों में कटौती की उम्मीद घटी है. NSDL यानी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के मुताबिक फॉरेन इंस्टीट्यूशंस (FIIs) ने 2024 में अब तक भारतीय इक्विटीज में 30,212 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की हैं. ऐसा मुख्य तौर पर देश के प्राइमेरी मार्केट में इनफ्लो की वजह से हुआ है.
ग्लोबल फंड्स ने सेकेंडरी मार्केट में 41,150.2 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है. जबकि इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेस्मेंट और अन्य प्राइमेरी मार्केट ऑफरिंग में उन्होंने 71,361.1 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की है. भारतीय शेयरों में निवेशकों को और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है क्योंकि इंडिया इंक की दूसरी तिमाही के नतीजे कमजोर रहने की उम्मीद है.
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुताबिक कमजोर टॉपलाइन का प्रॉफिट पर असर हो सकता है और पहली तिमाही में अर्निंग्स में सुस्ती दूसरी तिमाही में बरकरार रहने की उम्मीद है. पिछले 14 दिनों में NSE निफ्टी 50 और BSE सेंसेक्स में पिछले 14 दिनों में करीब 5.46% और 5.33% की गिरावट देखने को मिली है. निफ्टी 50 के करीब 40% शेयर करेक्शन मोड में हैं.
एक्टिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड्स से हालिया डेटा में पता चला है कि वैल्युएशन को लेकर चिंताओं के बावजूद एसेट मैनेजमेंट कंपनियों ने कैश डालना शुरू कर दिया है.