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आर्थिक जोखिम घटा, भारतीय बैंकों के लिए काम करने का माहौल बेहतर हुआ: फिच रेटिंग्स

फिच ने मार्च 2020 में भारतीय बैंकों के लिए ऑपरेटिंग इनवायरमेंट मिड पॉइंट स्कोर को ‘bb+’ से बदलकर ’bb’ कर दिया था.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी01:31 PM IST, 16 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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फिच रेटिंग्स का भारतीय बैंकों पर भरोसा बढ़ा है, फिच की ओर से कहा गया है कि आर्थिक जोखिम कम होने से भारतीय बैंकों के लिए काम करने का माहौल बेहतर हुआ है. फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महामारी की वजह से पैदा हुए आर्थिक खतरे अब कम हुए हैं.

इसके पहले मार्च 2020 में भारतीय बैंकों के लिए ऑपरेटिंग इनवायरमेंट मिड पॉइंट स्कोर को ‘bb+’ से बदलकर bb कर दिया था.

भारतीय बैंकों पर फिच

फिच रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2024 में भारतीय बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ कुछ सामान्य होते हुए दिखेगी. SME सेक्टर के फार्मल होने की वजह से भारतीय बैंकों को इसका फायदा मिलेगा. संरचनात्मक मुद्दे काम करने के माहौल में बाधा डाल रहे हैं.

यह आंकलन करने के बाद कि महामारी के कारण सेक्टर के सामने काम करने के माहौल में तनाव (Operating environment stresses) और बढ़ सकता है, फिच ने मार्च 2020 में भारतीय बैंकों के लिए ऑपरेटिंग इनवायरमेंट मिड पॉइंट स्कोर को ‘bb+’ से बदलकर bb कर दिया था.

महामारी से भारत पर पड़ा था बुरा असर

फिच का कहना है कि भारत इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, लेकिन इससे जुड़े खतरे अब कम हो गए हैं. फिच ने मई में सॉवरेन रेटिंग 'BBB-/स्टेबल' की पुष्टि की और वर्तमान में मार्च 2026 (FY23-FY25) तक तीन वर्षों में रियल GDP ग्रोथ औसतन 6.4% सालाना होने का अनुमान जताया.

फिच ने कहा कि महामारी से जुड़े जोखिमों में कमी के साथ साथ पूंजी बफर भी मजबूत हुआ है. बैंकिंग सेक्टर का औसत सामान्य इक्विटी टियर 1 (CET1) पूंजी अनुपात वित्त वर्ष 2013 में 10.4% से बढ़कर वित्त वर्ष (E)23 तक 13.4% हो गया.

इससे पहले मई में, S&P रेटिंग्स ने भी कहा था कि उसे उम्मीद है कि बैंकिंग सेक्टर में प्रॉफिटिबिलिटी एक स्वस्थ स्तर पर स्थिर होगी और बैंकों के एसेट्स क्वालिटी में सुधार जारी रहेगा.

रेटिंग एजेंसी का कहना है कि भारतीय बैंकों की कमाई अच्छी रहने की उम्मीद है. S&P ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुघ ने कहा, ''ऊंची ब्याज दरों के दबाव के बावजूद, नए नॉन परफॉर्मिंग लोन कम रहेंगे, राइट ऑफ खातों में रिकवरी से बैंकों का मुनाफा बढ़ेगा.''

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