ADVERTISEMENT

तुहिन कांत पांडे बने SEBI के नए बॉस, 1 मार्च को माधबी पुरी बुच का कार्यकाल खत्म

मौजूदा SEBI अध्यक्ष, माधबी पुरी बुच का कार्यकाल 1 मार्च को समाप्त हो रहा है. उन्होंने 2 मार्च, 2022 को तीन साल के कार्यकाल के लिए पदभार संभाला था और SEBI का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी09:30 AM IST, 28 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

मार्केट रेगुलेटर SEBI की कमान अब तुहिन कांत पांडे के हाथों में होगी. सरकार ने उन्हें SEBI का नया चेयरमैन नियुक्त किया है. फिलहाल तुहिन कांत पांडे वित्त और राजस्व सचिव का कामकाज देख रहे हैं. SEBI चेयरमैन के तौर पर उनका कार्यकाल तीन के लिए होगा. तुहिन कांत पांडे 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं. उन्हें फाइनेंशियल मैनेजमेंट, पॉलिसीमेकिंग और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में लंबा अनुभव है.

लंबा प्रशासनिक अनुभव

तुहिन कांत पांडे ने तीन विभागों में सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने 24 अक्टूबर, 2019 से निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) का पद संभाला, 1 अगस्त, 2024 से डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज में और 4 नवंबर, 2024 से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का नेतृत्व किया. DIPAM और DPE दोनों वित्त मंत्रालय का हिस्सा हैं.

उन्होंने केंद्र और ओडिशा सरकार में कई प्रमुख पदों पर काम किया है. अपने करियर के शुरुआती दौर में, उन्होंने ओडिशा राज्य वित्त निगम और ओडिशा लघु उद्योग निगम के कार्यकारी निदेशक और प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया. वो संबलपुर के जिला कलेक्टर भी रह चुके हैं.

1 मार्च को खत्म हो रहा माधबी पुरी बुच का कार्यकाल

मौजूदा SEBI अध्यक्ष, माधबी पुरी बुच का कार्यकाल 1 मार्च को समाप्त हो रहा है. उन्होंने 2 मार्च, 2022 को तीन साल के कार्यकाल के लिए पदभार संभाला था और SEBI का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गईं. बुच ने अजय त्यागी का स्थान लिया था, जिन्होंने मार्च 2017 से फरवरी 2022 तक पांच साल तक सेवा की.

तुहिन कांत पांडे के अनुभव को SEBI के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है. उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारतीय पूंजी बाजार वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और तेजी से बदलते रेगुलेटरी नजरिए का सामना कर रहा है. एनालिस्ट्स का मानना है कि उनका वित्तीय प्रशासन में दशकों का अनुभव SEBI को नई गति दे सकता है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT