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सुब्रत रॉय की मौत के बाद भी चलती रहेगी सहारा मामले की जांच: माधबी पुरी बुच

SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने कहा कि सहारा का मामला एक कंपनी से जुड़ा है, इसलिए फर्क नहीं पड़ता है कि ये इससे जुड़ा कोई शख्स है या नहीं.
NDTV Profit हिंदीमंगलम मिश्र
NDTV Profit हिंदी05:44 PM IST, 16 Nov 2023NDTV Profit हिंदी
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सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय (Subrata Roy) की मौत के बाद FICCI के कार्यक्रम में भी सहारा का मामला सुनाई दिया. SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने कहा कि सुब्रत रॉय की मौत के बाद भी सहारा (Sahara) मामले की जांच चलती रहेगी. बीते मंगलवार को सहारा प्रमुख की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई. उनकी उम्र 75 वर्ष की थी.

FICCI कार्यक्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान SEBI चेयरपर्सन ने कहा, सहारा का मामला एक कंपनी से जुड़ा है, इसलिए फर्क नहीं पड़ता है कि ये इससे जुड़ा कोई शख्स है या नहीं.

सहारा मामले पर मिलने वाला रिफंड बहुत कम होने के सवाल पर बुच ने कहा, ये पैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपॉइंट की गई कमिटी के जरिए दिया गया है, जो निवेशकों द्वारा किए गए क्लेम और उससे जुड़े सबूतों पर आधारित है.

बता दें कि कुछ समय पहले सहारा मामले में अपना पैसा गंवाने वाले निवेशकों के लिए 138 करोड़ रुपये का रिफंड दिया गया था. जबकि सहारा ग्रुप (Sahara Group) को SEBI की ओर से 24,000 करोड़ रुपये का डिपॉजिट करने को कहा गया था.

सहारा ग्रुप के ऊपर कई पॉन्जी स्कीम (Ponzi Scheme) चलाने समेत अन्य तमाम आरोप थे. सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की मुश्किलें नवंबर 2010 में बढ़नी शुरू हुईं, जब मार्केट रेगुलेटर SEBI ने सहारा ग्रुप को इक्विटी मार्केट, सिक्योरिटीज, पब्लिक से या किसी अन्य स्रोत से पैसे जुटाने पर रोक लगा दी. इसके साथ ही सुब्रत रॉय पर भी पैसे जुटाने पर प्रतिबंध लगा दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को अवमानना के आरोप में 2014 में गिरफ्तार भी किया था. उनकी दो कंपनियों पर निवेशकों के 20,000 करोड़ रुपये लेने के बाद रीफंड नहीं करने के आरोप था, इसी मामले में जब कोर्ट ने उन्हें तलब किया तो उन्होंने पेश होने से इनकार कर दिया.

हालांकि, कुछ वक्त के बाद रॉय को जमानत तो मिल गई, लेकिन परेशानियों से वो बरी नहीं हुए.

2 सहारा कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (Sahara India Real Estate Corporation) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (Sahara Housing Investment Corporation) ने 2007-08 में डिबेंचर इंस्ट्रूमेंट OFCD से पैसे जुटाए.

जून 2011 में, कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने दोनों को रिटर्न के साथ ऑप्शनली फुली कन्वर्टेबल डिबेंचर्स (OFCD) को रीफंड करने को कहा.

अपील, क्रॉस-अपील की लंबी प्रक्रिया के बाद, 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्वेस्टर्स के दिए पैसे को 15% ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया.

कुल मिलाकर सहारा ग्रुप को निवेशकों को लगभग 24,000 करोड़ रुपये डिपॉजिट करने थे. कोर्ट के आदेश के बाद सहारा ग्रुप ने ये पैसा सेबी के पास जमा भी करा दिया. मगर ग्रुप हमेशा ये कहता रहा है कि ये निवेशकों को 'दोबारा भुगतान' करने जैसा होगा, क्योंकि ग्रुप पहले ही 95% निवेशकों के पैसे लौटा चुका है

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