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एल्गो प्रोवाइडर्स, रिसर्च एनालिस्ट और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के दावों को वेरिफाई करने के लिए SEBI लाया एजेंसी

SEBI ने बताया कि जो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां (CRAs) कुछ खास शर्तें पूरी करेंगी, वे इस काम के लिए अप्लाई कर सकती है. स्टॉक एक्सचेंज भी डेटा सेंटर बनने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
NDTV Profit हिंदीचारू सिंह
NDTV Profit हिंदी11:11 AM IST, 05 Apr 2025NDTV Profit हिंदी
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मार्केट रेगुलेटर, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शुक्रवार को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें निवेश पर जोखिम और रिटर्न के दावों को वेरिफाई करने के लिए एक परफॉर्मेंस वैलिडेश एजेंसी की व्यवस्था की गई है.

इसे पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी (PaRRVA) कहा जाएगा. ये एजेंसी निवेश सलाहकारों, रिसर्च एनालिस्ट्स, एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग सर्विस प्रोवाइडर्स और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ रिजस्टर्ड अन्य इंटरमीडियरीज द्वारा किए गए दावों की सटीकता की जांच करेगी.

SEBI ने बताया कि जो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां (CRAs) कुछ खास शर्तें पूरी करेंगी, वे इस काम के लिए अप्लाई कर सकती है. स्टॉक एक्सचेंज भी डेटा सेंटर बनने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

वैलिडेशन एजेंसी बनने की ज़रूरी शर्तें

CRAs को मान्यता पाने के लिए ये शर्तें पूरी करनी होंगी:

  • 15 साल का अनुभव

  • 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ

  • 250 से ज्यादा डेट सिक्योरिटीज को रेटिंग देने का रिकॉर्ड

  • निवेशकों की शिकायतें सुलझाने का सिस्टम और ऑनलाइन तरीका

अगर स्टॉक एक्सचेंज डेटा सेंटर बनने के लिए मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनके लिए ये शर्तें रखी गई हैं:

  • 15 साल का अनुभव

  • 200 करोड़ रुपये की नेटवर्थ

  • पूरे देश में ट्रेडिंग टर्मिनल

  • शिकायत सुलझाने का सिस्टम और ऑनलाइन तरीका

SEBI इस एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया के हिसाब से आवेदन चेक करेगा और ये शर्तें पूरी करने पर CRA को तीन महीने में टेक्नोलॉजी, सर्वर, API और बाकी सिस्टम तैयार करना होगा.

आखिर में, SEBI प्री-वेरिफिकेशन स्टेज पर साइट विजिट करेगा और देखेगा कि सिस्टम ठीक है और साइबर सुरक्षा के नियम फॉलो हो रहे हैं. CRAs और स्टॉक एक्सचेंज को थर्ड-पार्टी ऑडिट करवाने होंगे और ऑपरेशन के लिए ओडिटर से मिले कंफर्मेशन को SEBI को मुहैया कराना होगा.

पहले पायलेट फेज में होगा काम

मान्यता मिलने के बाद, PaRRVA और उसका डेटा सेंटर दो महीने के पायलट स्टेज में रिस्क-रिटर्न वेरिफिकेशन प्रक्रिया का टेस्ट करेगा. जरूरत पड़ने पर SEBI इस अवधि को बढ़ा सकता है ताकि तकनीकी सिस्टम और कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सके.

पायलट स्टेज में, वेरिफाई किया गया रिस्क-रिटर्न डेटा गोपनीय रहेगा और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. इसके बाद, बाजार सहभागियों से फीडबैक लिया जाएगा ताकि प्रक्रिया में सुधार किया जा सके.

एक निगरानी समिति, जिसमें मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस (MIIs), CRAs, स्टॉक ब्रोकर्स और म्यूचुअल फंड के प्रतिनिधि शामिल होंगे, इस प्रोसेस को लागू करने की समीक्षा करेगी.

पूरी तरह से चालू होने पर, PaRRVA रिस्क-रिटर्न मापदंडों की गणना के लिए तरीका य करेगा, एक मजबूत वेरिफिकेशन सिस्टम डेवलप और टेस्ट करेगा, विनियमित संस्थाओं और MIIs के साथ समझौते करेगा, साइबर सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करेगा और ऑडिट करेगा.

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