मार्केट रेगुलेटर SEBI की F&O पर हाल में लगाई गई पाबंदियों का सबसे ज्यादा असर रिटेल-फोकस्ड डिस्काउंट ब्रोकर्स (Discount Brokers) पर पड़ेगा.
जेफरीज (Jefferies) ने अपने एक नोट में कहा है कि मार्केट रेगुलेटर ने जो कदम उठाया है, उसका बाजार के खिलाड़ियों पर अलग-अलग तरीक से असर होगा. डिस्काउंट ब्रोकर्स पर सबसे ज्यादा असर होगा. इसके बाद BSE जैसे एक्सचेंजेज प्रभावित होंगे.
ब्रोकरेज ने एक नोट में कहा कि पारंपरिक ब्रोकर्स पर कम असर होना चाहिए क्योंकि मार्जिन में कम बढ़ोतरी से उनके हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल क्लाइंट बेस को मदद मिलेगी.
जेफरीज ने कहा कि नुवामा एसेट सर्विसेज जैसे क्लियरिंग मेंबर्स, जो इंस्टीट्यूशनल प्लेयर्स को मदद करते हैं उन पर थोड़ा असर ही होगा. बाजार के अन्य भागीदारों जैसे AMCs, वेल्थ मैनेजर्स और डिपॉजिटरीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सिटी रिसर्च को उम्मीद है कि हालिया पाबंदियों से ट्रांजैक्शनल-बेस्ड कैपिटल मार्केट प्लेयर्स जैसे ब्रोकर्स, एक्सेंचेजेज और डिपॉजिटरीज पर असर होगा.
नए नियमों में वीकली एक्सपायरी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए प्रति एक्सचेंज एक बेंचमार्क इंडेक्स की सीमा लगाने से लेकर खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम का अनिवार्य तौर पर सीधा कलेक्शन शामिल हैं.
सिटी ने कहा कि इससे होने वाले प्रभावों में नए निवेशकों का जुड़ना और नॉन-इंडीविजुअल्स से एक्टिविटी शामिल हैं. सिटी के मुताबिक रिटेल वॉल्यूम्स में धीरे-धीरे गिरावट और NSE पर इंडेक्स ऑप्शन प्रीमियम टर्नओवर पर 35% असर की उम्मीद है. इसके अलावा छोटे रिटेल निवेशकों की गतिविधियां घटने की भी संभावना है.
जेफरीज ने कहा कि अगले तीन से छह महीनों के दौरान चरणबद्ध तरीके से लागू होने से बाजार में सोच-समझकर और धीरे-धीरे सख्ती आएगी.