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SEBI की नई गाइडलाइंस, इन्‍वेस्‍टर्स और ब्रोकर्स से ज्‍यादा चार्जेस नहीं वसूल सकेंगे स्‍टॉक एक्‍सचेंज

ये नियम सुनिश्चित करता है कि इंटरमीडियरीज यानी बिचौलियों की ओर से कोई हिडेन या एक्‍सट्रा चार्जेस नहीं जोड़े जा रहे हैं.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:40 AM IST, 02 Jul 2024NDTV Profit हिंदी
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निष्पक्ष और पारदर्शी फी स्‍ट्रक्‍चर सुनिश्चित करने के लिए मार्केट इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इंस्‍टीट्यूशंस (MII) के लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI ने गाइडलाइंस जारी की है. इससे निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए संभावित रूप से लागत कम हो सकती है. बता दें कि स्टॉक एक्सचेंजेस, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग हाउसेस वगैरह MIIs के अंतर्गत आते हैं.

SEBI ने पाया कि मौजूदा सिस्‍टम के तहत, कुछ MII वॉल्यूम-बेस्‍ड स्लैब स्‍ट्रक्‍चर अपना रहे हैं. इसके चलते मेंबर्स MII को मासिक भुगतान (Monthly Payment) की तुलना में हर दिन निवेशकों से ज्‍यादा फीस कलेक्‍ट करते हैं, जिससे एक्‍चुअल चार्जेस के बारे में भ्रामक खुलासे हो सकते हैं.

इसलिए, SEBI ने अब ये अनिवार्य किया है कि MII को अपने मेंबर्स, जैसे स्टॉकब्रोकर और डिपॉजिटरी प्रतिभागियों पर लगाए जाने वाले चार्जेस के लिए सिस्‍टम बनाते समय कई सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जिन्हें बाद में इन्‍वेस्‍टर्स और ट्रेडर्स (End Clients) को दिया जाता है.

इस खबर के बाद कई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है.

क्‍या है SEBI की गाइडलाइंस?

  • सबसे पहले, अंतिम ग्राहकों (End Clients) को बिल किए जाने वाले चार्जेस 'लेबल के अनुसार सही' होने चाहिए.

  • इसका मतलब ये है कि यदि कोई MII किसी अंतिम ग्राहक से कोई स्‍पेसिफिक फीस लेता है, तो उसे बिना किसी विसंगति/गड़बड़ी के बिल्कुल वही राशि मिलनी चाहिए.

  • ये नियम सुनिश्चित करता है कि इंटरमीडियरीज यानी बिचौलियों की ओर से कोई हिडेन या एक्‍सट्रा चार्जेस नहीं जोड़े जा रहे हैं.

  • दूसरा, MII का फी स्‍ट्रक्‍चर सभी मेंबर्स के लिए बराबर और एक समान होना चाहिए.

  • मौजूदा समय में, कुछ MII स्लैब-बेस्‍ड स्‍ट्रक्‍चर यूज करते हैं, जहां चार्जेस मेंबर्स की संख्‍या या गतिविधि पर निर्भर करता है.

  • SEBI के नए नियम में निष्पक्षता तय करने और साइज या एक्टिविटी लेवल के आधार पर चार्जेस को रोकने के लिए एक फ्लैट फी स्‍ट्रक्‍चर की जरूरत है.

SEBI ने इस बात पर भी जोर दिया कि नए फी स्‍ट्रक्‍चर में मौजूदा प्रति-इकाई शुल्क (Per-Unit Charges) को ध्यान में रखना चाहिए और अंतिम ग्राहकों (ट्रेडर्स/इन्‍वेस्‍टर्स) के लिए लागत कम करने पर फोकस रहना चाहिए. इसका मतलब है कि निवेशकों और ट्रेडर्स को इन बदलावों के बाद, कम चार्जेस देने होंगे.

MIIs को क्‍या करना होगा?

SEBI के निर्देशों के मुताबिक, MII को अपने इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और सिस्‍टम को भी अपडेट करना होगा. उन्‍हें प्रासंगिक नियमों और विनियमों (Rules & Regulations) में संशोधन करना हाेगा और साथ ही अपने मेंबर्स और पब्लिक को इन बदलावों के बारे में बताना होगा. इसके अलावा, MII को इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की स्‍टेटस रिपोर्ट SEBI को देनी होगी.

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