हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट पर मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बयान जारी करते हुए निवेशकों को शांत रहने की सलाह दी है. SEBI ने ऐसी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से पहले शांत होकर तथ्यों की जांच पड़ताल (Due Diligence) कर लेने का सुझाव दिया.
SEBI ने बयान जारी कर कहा है कि निवेशकों को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के डिस्क्लेमर पर भी ध्यान देना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के पास रिपोर्ट में शामिल सिक्योरिटीज में शॉर्ट पोजीशन हो सकती है.
शॉर्ट सेलर के आधारहीन आरोपों पर तर्कपूर्ण तथ्य पेश कर मार्केट रेगुलेटर SEBI ने हिंडनबर्ग को 'बेनकाब' कर दिया और जांच के कई अहम बिंदुओं पर तस्वीर साफ कर निवेशकों के सामने रख दिया है.
मार्केट रेगुलेटर ने कहा है, 'हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि SEBI ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. ये बीते 27 जून को हिंडनबर्ग को भेजे गए शो-कॉज यानी कारण बताओ नोटिस की कार्रवाई पर सवाल उठाता है.' इसकी प्रतिक्रिया में SEBI ने कहा कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ विशेष रूप से हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की SEBI ने विधिवत जांच की है.
सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी, 2024 के अपने आदेश में इस तथ्य को शामिल किया है कि SEBI ने अदाणी ग्रुप के 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है. इसके बाद, मार्च 2024 में एक और जांच पूरी हुई और एक शेष जांच पूरी होने के करीब है.SEBI (11 अगस्त को जारी बयान में)
मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बयान में आगे कहा कि इस मामले में चल रही जांच के दौरान,
जानकारी मांगने के लिए 100 से अधिक समन, करीब 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए गए हैं.
इसके अलावा घरेलू/विदेशी नियामकों और बाहरी एजेंसियों से मदद के लिए 100 से अधिक कम्यूनिकेशन किए गए हैं.
साथ ही करीब 12,000 पन्नों वाले 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई है.
SEBI ने बयान में आगे कहा, इस मामले में कार्यवाही जारी है और मामले को नियमों और स्थापित प्रक्रिया के अनुसार निपटाया जा रहा है.
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में SEBI (REIT) रेगुलेशन 2014 को लेकर भी सवाल उठाया है. उसने आरोप लगाया है कि एक बहुराष्ट्रीय वित्तीय ग्रुप को फायदा पहुंचाने की कोशिश हुई. मल्टीनेशनल कंपनियों को काफी फायदा पहुंचा है. इसका जवाब देते हुए SEBI ने इन आरोपों को नाजायज साबित किया है. SEBI ने कहा,
SEBI (REIT) रेगुलेशन 2014 को समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है.
नए नियम लाने या मौजूदा नियमों में बदलाव बड़े पैमाने पर कंसल्टेशन के बाद होता है.
इंडस्ट्री, निवेशकों, मध्यस्थों, सलाहकारों, जनता से बड़े पैमाने पर इनपुट लिया जाता है.
इन रेगुलेशन पर प्रस्ताव SEBI बोर्ड के सामने विचार-विमर्श के लिए रखा जाता है.
SEBI बोर्ड की मंजूरी के बाद नियमों को लागू किया जाता है.
बोर्ड बैठकों के एजेंडा पेपर्स, चर्चाओं के नतीजे वेबसाइट पर डाले जाते हैं.
इसलिए, रिपोर्ट में REIT को लेकर किया गया दावा बिल्कुल अनुचित है.
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में SEBI और खासकर चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर अदाणी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई को लेकर हितों के टकराव संबंधी आरोप भी लगाए हैं. इस पर चेयरपर्सन पहले ही तस्वीर साफ कर चुकी हैं. अब मार्केट रेगुलेटर SEBI ने भी इसे खारिज किया है. SEBI ने अपने बयान में कहा है,
हितों का टकराव जैसे मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त इंटरनल मैकेनिज्म है.
इसमें डिस्क्लोजर फ्रेमवर्क और अस्वीकृति के प्रावधान जैसे नियम शामिल हैं.
SEBI चेयरपर्सन ने सिक्योरिटीज की होल्डिंग, उनके ट्रांसफर के डिस्क्लोजर दिए थे.
SEBI चेयरपर्सन ने पहले भी संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों में खुद को अलग रखा है.
यहां देखें SEBI की प्रेस रिलीज
मार्केट रेगुलेटर ने स्पष्ट किया है कि SEBI के पास ग्लोबल प्रैक्टिसेज की तरह एक मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क है, जो निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.