शेयरों पर सलाह देने वाले अनरजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर्स पर मार्केट रेगुलेटर SEBI की सख्ती और बढ़ गई है. SEBI ने सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं और उनके एजेंट्स को तीन महीने का वक्त दिया है कि वो अपने मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स ऐसे एडवाइजर्स के साथ खत्म कर लें. इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर ने ये भी सलाह दी है कि यूजर्स सही पार्टिसिपेंट्स की पहचान कर पाएं, इसकी मदद के लिए SEBI-रजिस्टर्ड संस्थाओं को एक डिजिटल बैज भी देना चाहिए.
इस सख्ती ऐसे डिजिटल फिनफ्लूएंसर्स खत्म हो जाएंगे, जो निवेशकों को झूठे क्लेम और ऊंचे रिटर्न का फर्जी दावा करके फंसाते हैं. ये शेयर बाजार में धमाकेदार रिटर्न के दावों और अनऑथराइज्ड वित्तीय सलाह पर लगाम कसने के लिए SEBI का ये एक और ठोस कदम है. ये सख्ती अगस्त में SEBI की ओर से नियमों में किए गए बदलाव के बाद की गई है. जिसका मकसद इंटरमीडियरीज यानी स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरीज और वित्तीय सलाह देने या परफॉर्मेंस के दावे करने वाली संस्थाओं के बीच रिश्तों को रेगुलेट करना है.
SEBI का नया नियम इंटरमीडियरीज, उनके एजेंट्स या संबंधित व्यक्तियों को ऐसी किसी भी संस्था के साथ सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी संबंध रखने से रोकेगा, जो SEBI से रजिस्टर्ड न हो और बिना उसकी इजाजत लिए निवेश की सलाह देता है या परफॉर्मेंस और रिटर्न से जुड़े दावे करता है. हालांकि ये प्रावधान किसी 'स्पेसिफाइड डिजिटल प्लेटफॉर्म' (SDP) के जरिए किसी एसोसिएशन पर लागू नहीं होते हैं.
'स्पेसिफाइड डिजिटल प्लेटफॉर्म' का मतलब SEBI की ओर से जिसे निर्दिष्ट किया गया हो, ये प्लेटफॉर्म रेगुलेटेड संस्थाओं और थर्ड पार्टीज जैसे - फिनफ्लूएंसर्स के बीच संबंधों को रेगुलेट करेंगे. SEBI ने SDP के लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. जिसके मुताबिक - इन प्लेटफार्म्स को SEBI की संतुष्टि के लिए कई मोर्चों पर काम करना होगा. उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि वो अनधिकृत सलाह या भ्रामक परफॉर्मेंस के दावों जैसे दुरुपयोग को रोक सकते हैं, निवेशकों के हितों की रक्षा कर सकते हैं. उनके पास ऐसी चीजों से बचाव के लिए के एक पूरा मैकेनिज्म होना चाहिए.
सर्कुलर में ये साफ कहा गया है कि केवल निवेशकों को शिक्षित करने में लगे व्यक्तियों या संस्थाओं को इन प्रतिबंधों से छूट दी गई है. हालांकि, उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निवेश सलाह देने या शेयरों से संबंधित परफॉर्मेंस के दावों से बचने को भी कहा गया है. SEBI ने कहा है कि 'स्पेसिफाइड डिजिटल प्लेटफॉर्म' शेयरों से जुड़े कंटेंट या विज्ञापनों की पहचान करने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस या मशीन लर्निंग (AI/ML) टूल का इस्तेमाल करें, लेकिन पहले ये सुनिश्चित करना होगा कि संस्था SEBI रजिस्टर्ड है और कोई अनाधिकृत सलाह, सिफारिशें या परफॉर्मेंस के दावे नहीं किए जा रहे हैं.
ऐसे प्लेटफॉर्म को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि जो इंवेस्टर एजुकेशन का कंटेंट दिया जा रहा है वो वास्तविक है, ऐसे कंटेंट यूजर्स को अनुचित गतिविधियों के लिए व्हाट्सएप या टेलीग्राम जैसे दूसरे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धकेल नहीं रहे हैं. इसके अलावा, प्लेटफॉर्म से जब भी डेटा मांगा जाएगा, उसे रेगुलेटर के साथ वो शेयर करना होगा, जो भी इनपुट रेगुलेटर देगा उस पर कार्रवाई भी करनी होगी.
यूजर्स को सही पार्टिसिपेंट्स की पहचान करने में मदद करने के लिए SEBI-रजिस्टर्ड संस्थाओं को एक बैज भी देना चाहिए. SEBI ने सुझाव दिया है कि केवल रजिस्टर्ड संस्थाएं, अनुमति पाए हुए विज्ञापनदाता या एजुकेशन कंटेंट प्रोवाइडर्स ही मंच पर सिक्योरिटीज से जुड़े कंटेंट को पोस्ट कर सकते हैं.
इसके साथ ही ऐसे प्लेटफॉर्म धोखाधड़ी वाली या नॉन-कंप्लायंट कंटेंट को हटा सकते हैं और अपराधियों को दंडित कर सकते हैं. SEBI ने 12 नवंबर तक स्पेसिफाइड डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लोगों से टिप्पणियां मांगी हैं.